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________________ ख स तथा दन्त सकरदन । पचियते भवरदत्त विरते घमरन । विदति व्यक्त । सुत्रवदन्ते सम्यद्दिष्पवदंता एगदत सेठो विगत एक दल श्रेष पहिये स तथा स इव परस्परानुपतामापदा विभागस्वात् घमेव दत्ता यस्य स तथा यवतिधीयतत्तत वरिततवतासुखोई त मिना निहन्त दग्धमल चीतं भमयाचितं तप्त सन्ताप यत्तपनीयं सुवह सोतिरूपं तासु च काकुदाि परसनायास तथा । भवयिविभक्तचित्तमं भवस्थतानि भवसिंधूनि सुविमलानि विविधानि विवाप्यतिरम्यतया भद्धतानि चिकूच केशा मस्त स तथा मेलयित्य सह सविसर मांसल उपचितमांस संस्थितो विशिष्टसंस्थान प्रशस्त राम शार्दूलस्से व विपुलो विषचलेगर्दते यवहणिद्ध सघोयस तवविन्नर सतलता कुलोई श्रवद्वियसुविभन्तचित्तम मंसलसट्टियपसत्य सेवन जबसमंवषेडषु मोपोरगाइड दूध बेहद उपजे बस पावसीकुवचन सदगरयपायोनाकप सुवालिया कमनीमातांतु भाघवसमतनीह सरोपोषमवोदयेनेहमी पडतो छात्रामयोपपदंत ने हमा मिथोफाटि तिरस्तदो तबेहना एतबरदतिषांजरानधो भमिरत मयोविरता मिलतदितदतिवना निषप्रतिवस्तु चिगटार तदतिवेदना सुवात प्रतिभलानोपना त दांत हना एकतिनीयेष पतितेोपरिभवद्यच्च समासतदांत मेहता सुतवहमिते पर करोषस्य तदम तर वसीधोय एवढीतत्तत पाव्यत तवपिष्यतापनीय सरोप बेहद बोभनु तस्तु परितता जपजभरहनी अवद्विपवाधतानवी हवासु विभक्त कड़ा विभागसं युद्ध सुन्दराकार वस चित्तरमपोय एडवोमेश कहतांश्मयूाठी कनावे यशश्ना समकरो उपचितिभा उसे ठियरूप इस स्थान सचित प्रगतरुड़ पास सिंचनासरीप KUÇOT
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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