SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 438
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यावितिमिति विमलाजामा विश्ववत्ति विद्यमे सुपगताः सायमचा गया वासविहन्ति मानतो मरिनरी सिप्यानामादा ant forefrतोति वधुप्पोति बघता कता उत्पत्ति यया तथा जनपश्वेत परिषामान्तरनिर्भरताद पिम्मलावितिमिरा विसुद्धा मासयमा गयर कालविति सकेख समतेति तेणतत्वसिद्धाभ्यति सादौया अपनःसियाजावभिट्ट वि गोत्रमा बाबाममोबाब अग्गिदाल पुरवित्र कुरुपत्ताभवति एवमेवमित्राणं कम्मपदाठे पुञ्चरविषम्मप्पत्तीनभवति तेषं गोवमा एवबुधति सेातत्य सिद्धाभवति सानीया पज्जुमिया नाव विट्टति बौरायां में से सिसमा प्याकवर सिंघमयोसिक ति गोयमानइरोसर भवारागम घयये भिन्म ति बोभते भोपबाप्पाचाच्या समल। प्रजीअ महालानो निजकर कर्म र अरहित] कर्मनो कम्मर तिपूर्वदकर्मरहित प्रचामरक्षित विविटपिडित माता अनंतकाल पात्रताधनतावासको एतखाभितितिहार पर्व भगवन एराब बोपतिडोमोषविरविड़ पर पार्टिवरी सहित] भागविषेहनपोष तमो पूर्विोपरि डोवोतम येतेजिमकोर एकमा सिप्रमुख भावी प्रदाता पम्मिश्करीमइमेलाहर विरानोत्पत्तिपत्रिवट नहरचनको एकम्बानिवसिम धर्मरूपमोजदाधउपाधी वकीलन्पासिमोत्पत्तिप बिबट मकुर विजय प्रकरि पत्रोमोत्तम एक मोचन विहिर चादित्ररोहितचामराम बारब्दबोधमेश्वोर राव जोशेभमवन सोमवाविमावानदूभव पर बेवर संजय सोसवार बडोनीत
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy