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________________ - शशारी मण्डपभूपयाटोपतत्पधानाचार संग्याम चापय गो या सा तथा । सगयगयहमियमणियविधिपधिमाससम्मझियममागि उपात्ती पयारममा संगता उचिता गतमितमपितविधित विसामा यम तथा तब विहित चेष्टित विमासी नेपचेष्टा तथा महमा मितेन प्रमन्नतया गे समापा परम्पग्माषपासचा मोघ मिपची या सा तवा तव युवा' साता ये उपचारा भोकव्यवहारा स्तेपु कगला या सा तथा तत्पदषयम्ब चम धारयः । चिदिदममधामले मनरयणप्रघणवयपपरपरपनवणमासविसासमिया व्यन्मेष नतर जघन पर्यकटीमाग' मावस्यमावारम्य सहणीयता विमास' स्त्रीणां पटाविप पहिच स्थानासनगमनाना भनेवणा पेश सापद्यते विशेपो या चित्र म स विमाम स्यादिति हषा । वोचिएप रण मधि पसरतापपिरसारमापरिसरसरूपग पंचरित माणसम ए पामभीए पजणभरमागोषिहरतित्ति व्यत्य मेव च नवर सिगारागारपारुषमा सगय गय मिघ मपिथ चिट्टिय विलाम ललिप मलावणिण लतोययाग्कसम्ता पामा ___ दौमा दरिमणिय पमिक्ष्या पडिहवा कोणिएवं रणा भमसारपुत्तर्ण सधि घगुरत्ता अविरत्ता ले मह फरिस हसितहसिस भपियबोसियट मासभणिवस पमेकचेष्टामटकरिवला नवमीपेष्टाकठापमएकरिवल पमत्रपणठते गासरित समायोसिप हम विपरमिपुषगाठोडीने बुधवोग्यपस्वासपचा सोवष्यवहारतेहनविपकृयमिपुपाछ देपणारगचित्तएसपकर दीठाइनेयमकामनान पामर पभिरूपमनोपरदौसतीषकोते पारिपोदेवो प्रतिपदेषणचारनिमंत्रपणठ पाम कोणिचनामारामा भभमारयेणिक नुपुत्र पसाधि अनुजगमिणीयर पारीघापाविरचनार ष्टमसावर मदन मय फरस रसरूपगंध पचविधपधबार मनप्यमवधिया कामपनभोग - - -
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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