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sutraत्तिष्ठतः गाम कटयन्ति इन्द्रियग्राममतिमा पूर्ति सिम्बिरित्ति मेहति जनायो मजियति बुब्बिरिहसि मोहलते सम सायान् समानेन सुन्ति मोकाते सकसकशि परिथिव्याहिन्ति परिनिर्वास्यति कामसन्तापाभावेन शोतोभविष्यति कि सु Hafa sagore तकारशक्ति व्यतामेवेति १४ मसकारमति पराक्रमता सवदिम्बामिनी वा प्रत्यातिर्यमः तत्प्रतिषेघाय
प्रवद
उज्जावयागामा टकावावोस परोस हो
वसग्गासहियास ति रामकुमाराहित्ता चरिमेष्ठिस्मामणिस्मासेहि मिति मुभिषिति मुचहिप्ति परियिष्याहिप्ति सव्वदुक्खाय मतंकारहिं १8 से हमे गामा गर जान सि सेवा समापा भवति तजहा पायरियपयया उवज्झायपडियोया कुलपचिणीया मद्यपरिगीया
विशेषयको पम्पत्रिधोमबनघोटवाविविधो भरखोपको छापधिकाया मरे द्र५ नम्रटका प्राथमति नतोकना महिना परोसा पिपासादिकउपसंप्रतरतिर्वष देवतानात्रोधा महिमासह ममवचन का बाइसमेत पर्थक मंच व रूप के नागपा मित्ररूपमा राघोपामीमद्र परमदेह असामज रूपोमेश्ठ मोमासतोष घोविघोते रोते साबर सोमव ब्रमचयरोसिडिजायर वूस्त मार्गको मूको सत्कर्मनाव घनको परिनिष्याहिंर्ति सवार पावत्यागजको सर्वयारोरिक मनसोक मोत र विनासपमा चि१४ से जेएस प्रत्यचशोकन विश्व ग्रामवाडिपटिस घागर सु वर्ष मोउत्पत्तिठांम भावमन्दष कोमने राह सनिवेशगोपाठोपाठोरनावासन विपर मज्याव्रतनाधरण हार श्रमच भवति वर नेक भाषावारमतिपालय तहमा प्रत्ययो उपराठाम तिकूलवंत उपाध्यायद्दादोगोपाठाते हमा