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________________ हितसपियर पसे शायादययाति पचेत्यानि जनप्रतिगाइत्यर्थः यचापव्यपरहंत शिवम कम्पते योग्यं ति प्रतिषेध सोन्याचा वेध सहित परिमापघारको भतोऽन्ययूविक देवताग्न्दनादिनिषेध तामपि वन्दनादि निपेो माभूदिति वा यवत्वेत्माराधी उचावडिति व्यायचे उत्तराख आपण रति पापकर्मगो दनिजनिरीन अवसर रगडियाणिवा चेहयापूर्वदिन्तएवा गमसितएत्रा जावपज्जुवासितएवा गद्य व अरिष्ट या प्रतिद्रवा विधा परिवार काजमा मेकालश्कलिंगच्छतिविषनिहित गोगमा अम्मले परिव्ययए उच्चाव एहि मील गुरमा पञ्चवाणपोसोवासेहिं चप्पा भावे माये बहूवामाइ समणोवामयपरियायपाि दाजीतिकारियो नमस्कार पंचाममरणाम करोवमो शब्दको सत्कारादिकमामोश्ठ पशुपासनामनपचनाया से जान करिय प्रमेयमत्येतस्य परितसाचात् वीतरागघनतज्ञामते रतनाचेत्य निमतिमाजिममोषापना तेनदिपानला रादिसरियाम्प अम नामवेद हे भगवन् परिव्राजक सम्पासोते पानमासे मरयम व सरितासमरबकरोने किम्बङ्गगवामपिपरगरा न करियर कुपनदि पथितिरहिन परिस्र गौतम द्रभूत धनामिपरिव्राजकर्म चरबट उपकार भवच सामान्यमकारर मोम पांच मतगुण व्रततिथि वरमपरागादिकयको मिवत्तिवको पचपच्चमवकार पो सोम सुष्ठ पोसह पर्व दिवस भनुष्ठान पाहारादिवच्यार मकारधमनोपुटिना सरदारप वासर सहित करो पापपयोधामागरी रमावतभा एचोकरणो प्रवर्त्तातो पयारिसनग्रो म सानोपासक सेवक पहोचाय ३८ -
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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