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________________ ر " पोप वर्षशतसहस्र सम्यधिक च पोपमादित्यव गमनिका छ१ पष्वरमा समयन्ति प्राकृतप्रभवत्याच पंथत सहस्राभ्यधिकमित्वर्व चरतोति कौकुचिया ये हि तिर्यन्वारस्य वदप्पियति वदविका' नामाविधवासारि कुकुरयत्ति कुकुचेन सितावस्वन्दम भूतयमवदनकरचरणादिमि भाइव तथा चेटन्ते यथा महसन्स एवं परान् वासयन्तोति मोहरियति सुखरा नामाविधा सम्वद्धाभिधाविन area मोरिया मौयरवियन्ति मोतेन या रतो रमय कोड़ा सा प्रिया येषां गोतरसवो वा ठोका प्रिया येषान्ते तथा साम सपरिवागति यामन्ध E इ गालसोल्लिष कमोलियं ठसोलिय पिव चप्पाणकरेमायणा षषामा परियाय पाउणति बहू वासाइ परियापादचित्ता कालमासे २ टक्कोसे पंजोइसिएस देवेस देवत्ताए उववत्तारोभवति पलियोवमवाससयम पस मञ्मविश्वठितौ बाराहगा बोतियट्ट समठ्ठो समयोभवंति तनहा कदप्पिच्चा कुकुरया मोहरिया गौवरप्पिया पच्चषु पश्ववघोरूपको ईषेचे कडभावनविशेपते होते हो परिपच्च शरीर सोलीरूपकोष्ठ काठ प्रधपति एव भोसोटीरूपको प्रभागर करताका घणावरलगे पर्यासतापसीदोचातपकष्ट घपश्विरससग पर्यामतापसीदोषातपकटपाठणितापासोने का सरणमावसरतो विषे तस्योपम एकल परिवप से वर arewरोनर कष्ट पोज्योतिषोसंग धो देवतानविवर देवताप उपपातसभामय्या पवोहर लपएक अधिकधोएड विचितिपालपानी मेपबीजावोस तिमयपूविलो पर आधिा परलोकनाधाराधक नही दानानाविधानावरणहार कुटानाकरपहार सुपरीमानाविषयस बहभावा गोते बरोरतिरमवु सोडा बरहोते ह अभिषले जेहन नथप श्रमचतपनाकरणहार -
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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