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विपुरियाभाति प्रतन्य ये पन्त पुरस्येति गम्ये कुररक्तियापोति कुलपई पितृगृहे मित्तनानियय संवन्धिरपिस याप्रोति कचित् तत्र Half fat तायामेव वाद एवं घातयो मातृसादिखजना निजका गोविया सम्यन्धिमो देवरादिरूपा पणष्ठी सापड माधोति प्रष्ठा वृद्धि सुपगता विष्टि संस्काराभावाच वादयो योतीता स्तथा पाठान्तरे पठन ह के ससुरोमा घोति इह मयूपि कुरोमाणि तानि च यथ सोष न भवन्ति तथापि वासांचिदस्यानि भवन्ति प्रपोति तद्दृश्यं पच्हाण गमे यज्ञमलपक परतावाची पानथेन हेतुना स्वदादिभि परितापो यासां तास्तचा तव खेद प्रस्वेद' शो रजोमात मल कठिनोभूत तदेव वगगयो र दक्षिणव पोयमप्पिस गुतोष मडुमव्यर्मसपरिषत्तवयाहारापोक्ति व्यपगतानि चोरादीनि यत तथा परित्यक्तानि मध्यादोनि १ येन स एवंविध वतोऽभ्यवक्षत पाहा
कुत्तर विश्व श्वा त्रो परूढमध्य ह म स के सक्खरोमा ओ ववगयपुप्फगंध मल्लाज काराचो अगहाणएसेच जल मलप परितावि aat aaraौरदयियौ सप्पितेच गुजलोष म मन म सपरिघन्तायाहाराची अप्पिछि वो अप्पार माओ
मकीराurer कुलधरपितान घोघर ते घ को कर दूर व वासुधाकर ससुर कुल सासरपच कोरम असर चकार्य परिवारहरुले रामपूर मठमोटाव घाखाापगमा मधुदाटोमारोमय थपियो दाठीमपषिको मूक सोम पर हम यो समस्त नाकापयश्चिनारो मराइ तेसमरावनीनयो ववगमय' यावर फूल सेवल रंजू मोगरादिक गंधचू पाजवादिमान्यफूल मी माला पक्षं चारपाभरचनेपोवर प्रानभ गोड नियोपरिहारतथास्त्रेद पर सेव ओखरमा मठिनभाकरोषि बूते तथा कपरसेवकाईनोसार तक रोपरिताप्य धोले मपमाबाट छरीरजेपीय ववगयाच्या