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स्ववीयो राजसत्व इयर्थो य' पादुकायोग पादुकायुगतन पताकाविशेष एव वमिति हमृता चलता सपाठमा यो समाउन्तति स समायुक्त यत्तत्तथा यहुकिरापुरिस पायन्तपरिचितं बहवो ये विहरा प्रतिक भी पूर्व कारिच ककराय सदन्यविधा सेच ते पुचपायेति समास पादातं पदातिसमूह परिचित यत्तत्तथा कविद्दामोदासविक रकमा वर पुरिसपाग्रा परिणितमिति दृश्यते दास्य चेटयों दासाय पेटवा पट्टिमाइति काटिका सिते निम्ति पनि ह स एष यष्टिगोसियष्टि भयरा असि यष्टि येति कुन्तचामराणि प्रतोतानि पाया यूतोपकरणं वचस्ता] पश्यादिभवनानि वा पार्थ धन पुस्तकानि चायपरिधान लेखकस्यानामि पन अस्मिमा गगष्यतस्तुमवितो पुरषो महागुपुबोए सपद्विचा तयानंतरच वेरुलिषभिसंतविमजद बफोरटमलदामोषसोभिश्च खनखन ममूसिभ विमन घायवन्त पत्रर सौहार्थं वरमणिरय पपादपीठ सपाउच्चायोषसमाटन्त बडकिक र कम्मर पुरिसपायन्तपरिक्खित पुरषो महाणुपुष्षोए सपनिय तयाग्यतर व
नमो कोरंटचा माणून मोदाममाला ते पसरी परिमयस्व सोमरापो चंद्रनामामा सागर निभसारोपण समूसित चउजभ catusोविमलनिर्मन प्रातपत कामनिवार प्रातपत्रप्रवरप्रधान सौधा माना माघारण पनि मरिचद्रकांत दिवरच तनादि उपाद पोपमवापोठ पोटवरूप परिणामी रखौरेको पावड़ीतेरा जामोते परकारी सहित सम्यक्कत पाक्षि परमोटि बापूको नलेदयामकरर कोप पावत पालीवारतेबद्द करो परिचिप्तपरिवत्र पुरषोधामयिकी यथानुपूर्वी धनुश्रममू सपद्वियचचावि तदनंतर तिवार
व