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________________ कुमारकोमानि सोम तसेच तव संभाचिपति योग 'पचिपचिपा कुमालकोमलतमेरिति प्रतिपादन तवामधोभागा देवा तथा पहिंति समितिसारथितेरिति वदनि 'कुरीति सम्बाधनामपि साधुभिः मेयोति विति। प्राप्तार्थं वयोपदेचेरि =हित नाम सुष्मादि मानि मियानि हम नादीनि ताम्यपगतानिति तथा ते पावसुकुमालकोमलसोहि । पुरिसेडिं छेत्रिंदते परतहिं समोर अग्मिंगमपरिमद्दत्यव्य तयकरण गुम समाएहिं । श्रद्विमुहार मसमुहार तयामुहार रोममुहार चबाए इडिमावरमार होममांसन पोट पचपहङ्घिते हमावरबहार मद्रियांचया मरोर हमे पढचकरमद्दवरौ धम्मिमिएचोपडपबराबर समश्वितविवर निलोपनबराज विम विडोवोमीएवापचतावचन पतेव समास हाच पभ्यन्तरको परिभाष परमावाच कार्यविपविबंजनानिवारवहार पकडतापापमोच सहमरिया रिप विधानसोबावर निपुणाजे शिव्यविश्रानर्थगमनादियते सहि पतिमचोपडच परिमयतिय मरंनजरि वचनचच परीमते तारव भदावरि बामविषये तुषमा विशेषबुचाते हम विनिर्माण पर वोटर चलाउन मारमा पर मारि विश्वर
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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