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________________ न तो कचा दर पस्तुरसि यस्य तत्तथा वच कचइति पाठान्तरं वा गुवे यक ग्रीवाभरच गर्छ यस्व तत्तथा तथा बरभूपसे विराजमान भत्तत्तवायुवेवभूपविराजितमिति पाठान्तर ततो धर्मितादोन वधारय मत क्षत् पचियते यति चिद्दृश्यते तत्राधिकाधिकोना नितिन वा थवा महिना उपवेशन तेजसा प्रभावेष यु यत्तत्तथा तत् 'सबसियरस पूरविराइयं । समसिते सावित्योपते परे ये कब पूरे करने ताम्यां विराजितं यत्तत्तथा तत् पवधूमपरवरंधयार' प्रसम्बाम्यवचूतानि उगकन्यस्ताधोमुखका यस्य तत् मलम्यावपूर्ण मधुकरे मरेम दवगन्धाकटे व्रत मन्धकार वस्य तत्त्वा ततः कन्धारय पतस्तत् वाचनान्तर स्वव मेय विरचितवर व पूर यत्तत्तथा सत् धामरोक रखतान्धकारतानुपामरायां वयस्यात् । चित्तपरिच्छेयपच्छद । चित्र चितवायचच चामरीक रखतान्धकार प परिच्छेको लघुः प्रच्छदो वस्त्रविशेषो मस्य तत्तथा तत् । पहरणावरच मरिवनुदसा महरा र पाना मायुधावधान! भूत यत् युवसव्व 1 चित्त परिच्छेप छद } पहरणावर तेच्चजुप्त | 'सल्ललिभनरास पूरविराइच पतंग उच्च लमश्वरकयंघयार efecatonice भौडि वववववाह विशेष उप्प थियवहित। गाष्ठीय/धोका दिया मोराडो सहित पछि वेव्यपोशकोटि प्राभरण भ्यू गान वरप्रधनिभूप चचाभर पते पर करौ विराजमान अधिकते असे बाइक रोता सहित समविचचतचिचितपसकसरि प्रधान जे बिच पूरकामनाधाभरचते यश्वरीविराजमान सोभायमान प्रलंबलांब८८ सगसामरं गोचराइमदेशि विन्दु पास मपविहन मद्गधिश्रावाभसर भ्रमषतेपरवरोकोघरबंधकारवि चिचविचितपरिच्छे मतषु प्रच्च सच्चावयविशेपजेहन प्रहरयतरवारिप्रमुख उषो यारपावरपेड/प --
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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