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________________ मासोला' माधुभापति पचिन्तामवियुचारतिगमासारविराजितवचस कटवपु टिलभितभुजा एकटकानि कामिन टिवा यातु। रहम गयरचमागंडकोष्ठधारोपादानियाशामरविशेषाम् कण्डसानिच सर्वाभरणविपान मष्टगणागि घ समिखित चपोखामि कर्णपीठ ! वानि वष भरपविषपान धारवम्तो थेयोसा घेते तथा विचित्तात्यामरति व्यषित्तमाशाम चियमग पिपिवा माता समसभा येपो मोसी प मस्ती मुझट विरोट येषात तवा येष सुगम परमात यावत नवर मापानि पुयापि पौरि मरोर प्रखम्यो सुन्यन पनमायाभरण विशेष मसम्बवनमाना वा तणावळतो जापुममापावादिति दिसणं देवाचितन मघाम नेत्यर्य सघाएपसि सामेन वज़पभमारापेत्यच सठाधिपति समचतुरस्रवतीने स्थन रिपोएत्ति परिवारादिया जाएत्ति मुखा विसचिवायोगेन पभाएत्ति यानादिदीप्ता छायारसिं गोभ या पचोएप्ति पचिपा " अंगयक सक्षमट्टगहतलकण मौठधारी विवित्तपत्थाभरमा विचित्तमाला मटलिमर डा कल्लाण पायपवरवत्थपरिक्ष्या फसाएकयपवरमलाणुजेवया मामुरबोंदी पखंभषण माजधरा दियेणवरण दिवेणगंधेण दिवेणरुवेणं दिवेण फास दिवस घाएक दिवस ताण दियाएछोए दिलाएप्पभाए दिव्वाएच्छायाए दिप्यार । बमपरमावासबाबमा पमनानापाभरपापसाननापाभरणमागपतसकपोसदेगजेपर एहवापाणपीठिकामापाभरणचना धरपहार विपिवविविधषमपाभरपनाधरणार विचित्रमानावारनीमाबापूनसबंधिमी मसिमसवनाविपरसुगठछामेकमा फस्योपकारियांवर , प्रधामवणपहिरियोपा कागवारोयाबरमधानमाखनपनापनुपमविपनवीषाहाने भासरदेदीप्यमानवोदोमरोरखेनु प्रवंझू मण अमरवननोमावावनाधरणहार दिव्यदेवतानस्योममधानवर्षगरीरादिकनोवेपबरी दिव्यदेवतानयोग्य प्रधानगधगधतेपरकरी दिव्यदेवतामा
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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