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तखिग्धो न तु च । तिब्बतितीव्रो वर्षादिगुण प्रकर्यवान्। किरडे विश्व च्यापति असद कृष्णवे इत्यस्य विशेषणमिति म पुनवता तथाहि जय छन् जसच्छामा चादित्यावरच सन्धो वस्तुविशेष वर्षावयवधिरति प्रयोग गाथानुप्रयेगाद यहुम निरन्तरच्याव महाविभूति महामेघवृन्दवष्य तेच पाचवेति ययन्वो वनपरति । बन्दमन्तीत्यादीनि दशपदानि सत्र कन्दो महाना कि कियइच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए मौए सीयच्काए वे दिच्छाए तिब्बे तिष्यच्छाए वणकडिच कढिच्छाए रम्भे महामणिकुर भए त पायवा मजमसो कदमतो खधमतो तयामतो सालमतो
कातिश्रेष्ठम सीतता उसके सोतताठ उम्र भर सभा अर्थ तो पियोग पर पउनधी मिस घोगट उद्यवभास प्रभाव हनो तीव्रवर्षादिकिब सहित] उत्तमवर्षो भवभाम्प्रमाइतीय वसविभागकर लकारवर कृष्ण का मोहरका या विशेषका तिमो नोनद्रव श्मयूर माम ठपरिषो मोलोरकायाका तिवेहमी तिनो गप मरिपुवि हरिताप्रमाकातिविशेष योतताठ उभ कर सोतताठी याविशेष मिनिसोट पति उन नोगट कागविशेषको कातिहनो तो यदि करोउत्कट उत्तमवणादिकद्रकरो महामोटा मेघवानिव बसमूह सरोपर धर्मत मोटारवतधय सहितक पवनामोटापान का से इस हित
हिमो माहोमाहिमावान रूप सबकारी घन अंतरर होकर वे हमो पतिरमगोश संधीपादपच मूमततेप्रथोमाडितिरकोपस सहित कंद वेमूच घन वने विद्या त्ववासचितजाति नापुडते सति सामंत मोटो डाक सहित प्रवासमाम्हापशवकुराते बहसहित