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________________ APKHE तरिय च पोयुग्ममाप्य न त चल चनच पसंत बुधत जलसमूह पद्यानान्येव भ्रमन्तो महस्रा परिचय चिदवा यत्र स तथा पनितान्ध पानिपानीन्द्रियान तान्येव महामराष्ट्र यां यानि खरितानि योमाथि पनि तेोमात चुभ्यमाणो मुस्मश्चिव अर्थच चपलानां मध्ये चचसयास्थिरत्वेन संच यानान्तरममनेन पूर्वेब धाम्बन बससमूहो जससहातो धन्य तो यत्र स तथा तत क चार / परमय विसाय सोममित से परतिममभिवादयो कमिष्यत्वानि प्रतीतानि तान्येव नेवासे पहटो यस तथा बाह तापचविप्रचितिपादिसन्तान ममादिवाचं वत् बन्धनं तच भाव रागादयस्तचचं यचिक्टिस बाईमस्तेन सुदुस्तारी 1 कः स तथा तमरापुर नरतिरिव निरयगमविपरिवत्तविवयमेव । धमरतिमेभिरमगतिषु बहमनं तदेव कुटिल परिवत्तवितं परिवर्तनाच साधना भव स तथा चरतमहंत चतुर्विभार्य दियभेदमतिभेदाम्यां महान्त च महाधाम पचवत वमनन्त घुमंत जलसमूह 'T अरतिभयविसाय सोगमिच्छत्त सेस क अमरासुरनरतिरियनिरयग इगमण कुलपरिवन्त विलमेल अखाडस तायकम्मबंधस्य किस्बेसवि विश्वलदुत्तार चर तमहतमणषद्गरुहस सारसागर मौमदरि पतामह विवाद चिंतायो ककु समिबाबु देव गुरु धन्नो मान्यता से रूपमेकपर्व तबसे कडको व्यापिठक रविचनादिसंतानप्रनादि प्रवाडजेकर्मबंधना भरोमावितिष्ठमविविध प्रथा तकि इंसतेच हत्तार चतरतांदोल अमरदेवतासुर दैत्य नरमनुष्य तोये चमार की गतियत स धारयति तममनबाब हमकुटिखपरिवर्तनावक्रगति परिभ्रमणमतिमविष्ठोष बरविड ठरतमवचारपरिमिनाविभागमेहन
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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