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________________ afe for निरेति निरमाई वामभुगत प्रश्सेति सेामनुगत प्रश्य करेति प्राययकरमशुभ वर्मायवचारि कुतइत्याह करेति हस्तादि शिनकारि भयकरत्ति मासिवादीमा भेट्नकारि परितापवरेति माविमापतापहेत हवरेति मरणान्तिकवेदनावारि धनहरणायु मारिया घोवषापति भूतोपघातो यत्रास्ति तत्र तोपघातिक मिति तचाप्यगारति एवं प्रकारं असयतमन समित्वर्थ' मयोपोपहारेति न fug रेफर करे करे भेटकर परिताषय कर े उवणकर भूभोव घाइए ताप्पकारं मयोयोपहारा सेन्सअपसत्यमयो वियर सेकि संपसत्यमयोषिणए ३ तंचेव सत्यले घध्व एव घेवच विभवि एतेहि पदेवियो सेत्त विस्तर सेकितं कायवियप दुविपणन्ते तमहा पसत्यकायवियए अपसत्यकायवियर सेकितं श्रपस काय विणए २ मालपचारहित फरसख विरोसहित भाश्रवण पनच भाविक पहार छेदकरम्हादिकछेद करबहार माथिका दिकतुभेदय वरणहार प्रांणोर्निपरतापघतियमस्तु प्राचीनेतापतु वरबहार सहवयमरवति वेदमामकरपहार भूतमांच्यो उपघात तथा प्रकारतेष्ठव उमननोधरवून व प्रशस्तपालनमल विनयवाहियो विवत्र ते कवि सेते किंचिमते विनय प्रशस्त भष्ट उमन तेह मोविनय २ तिमषमय सोमन मिरव करियप्रशंसक भमिष्ठ, रत्वामिसरूपापबोडियछ घूमचप्रमापासून सभलवचनमपुष्पविनय एषद्रापदर्शले भव एसा वो सब दिएसक पिसावले भरिएका से कहू पनि रे सर्वभधिकारांविचते ह वचन नस विजय का तेष्ठि सेते कि कि मते विनयकायास मोविनय विशेयप्रकारे मन्तब्रह्मचतीर्थवर तेवपूर प्रशस्त भडकायासरोरतु विनय प्रशस्तपाठ उठायासरत विजय हि
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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