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________________ randuचरस्ति स स पर पतित संखष्ट में खर टितेन हस्तादिना दोवमान संखष्टसुच्यते तचरति य स तथा घस सहचरपत्ति विपरीत सच्चाय सहचरपत्ति तव्यातेन देयद्रव्याविरोधिना यत् संसृष्ट' हस्तादि तेन दोयमान यवरति स तथा भयचरस्ति भन्नातो "तु पदर्शितसौजन्यादिभाव परति स तथा भोवचरन्ति म दिसाभियन्ति दृष्टमेव मतादेश शहा पूर्वोपवसाहायकानाभो यस्यास्ति सदृष्टामिक पदिसाभिएशिया हृष्टस्वापि पवारवादिमध्यावितस्य योवादिभि जतोपयोग महादेरहाचा पूर्वमनुपसम्न्धादायकाशाभो ययाति स तथा पुचामिति पृष्ठव साधी बिदीयतइत्यादि पश्वितस् यो नाम स ययाति स तथा पट्टाभिपत्ति उतपर्ययादिति भिक्वासामिपत्तिभिशेष भिचा तु भवनात या तलाभो माया यस्यास्ति स मिचासामिक अभिक्खाकाभिपत्ति च विपर्ययात् भयगिवायपत्ति पत्र भोजन विभाग्यायति श्रम्वायक स चाभिगृह पिपातं प्रातरेव दोपावसुगिति पोषविपत्ति उपनिहित वा वैचित् प्रत्याभूतं तेग चरति यस भीपनिचितिक उपनिधिमा वा घरतोयों पतिधिक परिमिमपिंडवाइस परिमितपिपात पर्व पोपादिसामो मस्यास्ति तथा सह समिति यह पषा महादिदोषरहितता शहस्य वा निव्यगिनाए पोखिए परिमितपिटवाए मुझे सबिए ससादतिए सेन्त भिक्खायरिया सेकितरमपरिचाए २ अव गिटार परिमितमान वेगवेष भिचामोड़ धनीसनाकरन से एव गवे पर भिक्षतिसहित दिरंत उसे एहवमपर पद्मभोजनविनाला मनापास एक शेतेड या साबुताठावा सौकूरमसुखधाहार कर साधुपस्थि धागसिपवादिभाषोम् कगवेष सचित गितार अपि पावरमा गृहण कर एडवासाघगवेपर चनिर्दोषश करता हार गयेपछ सादिति लोगोसयारोपाहार
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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