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________________ वसित्ति पची वचनं सोमायायुपेतं येषा मस्ति ते वचस्लिम अथवा वर्ष सेवा प्रभाव तो वर्षखिनः जससित्ति यथिनस्यातिमन्त' विक्रीपादन] सप्तविशेषणानि प्रतीतानि नवर कोधादिजय उदयप्रासक्रोधादिविफलौकरच तो वसेयः श्रीविभासमरणभयविष्यसुद्धा जीविताथया मरयमयेन च प्रसुता तदुममोपेचका इत्वर्ष वयप्पहारेति प्रत यतित्व प्रधान सुत्तमं मात्रादिमतिवापेचया निप्रन्वयतित्वा शेष पा प्रधाना ये ते तथा धन्ययमचा व ते च न व्यवहारत एवेत्वत पात्र मुबयहाचति प्रतीत नवरं गुषा करपादय गुषप्राधान्य मेव प्रपचयवाह करचपडावेत्यादि विशेष सप्त प्रतोताबें च नवरं करणं पिष्ठविश्वादि पर महाव्रतादि निगृही घनापारमते विपेधन निषयस्तत्वमिय विचिताठाने या अवश्य करवाम्युपगम भाव मावोदयनिगृह माहवं मानोदय निरोध बाघव क्रियाच चत्व चान्ति कोषोदयनिपेत्यर्थ जोहा नियमाचा निश्रमाया जितोमा विभर दिया विश्वविद्दा जिपरोस हा जीविधासमरणभयविप्पसुका वयप्पाचा गुणप्पहाणा करण हामा चरणष्पहास्या सिम्प्पाणा निच्छ्यप्पहाणा अज्जवप्पछाया पारसमतिमहाव्रतति सहित व्याधपवाद्य कौवोह पर सहित द्रव्यवको परिहार पत्र सहित एसोधिन्तम उधोरपपते पर सहित तेस्रमरोर मोउत्तमप्रभाय सहित वचनसीमाप्ययं ततेपई सहित जसोतसमवसंवत बीतच इचकोष उदय भाष्य पनि फल वरपर श्रीतउमांग भिमनग्रहकार धाव्य sfoueकरकर जोतीमाया परमहंबंधि बेचई जोत सोमव| दालोमख पमई विफसकरइएर जोतीकरेद्रियपांचनिय श्रोतोछबू निद्रा तथा निदा घेणार जीताकर परोसहवास उदयभाव्वरसहर जीवतस्य त्रघ च उश्रोवतव्यष्ठतेचनी पाशावाला धनई मरचन उप्रेम य तेहथ कोविप्रमुख कारणावर १२
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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