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________________ उस मनुष्यका यहाँ यह इरादा-अभिप्राय यह नहीं है कि मैं इस दुग्धको छीनकर बालकको कट पहुँचा। उसका तो इरादा है बालकको बचानेका । ___ नैतिक रीति से भी यहाँ विचार किया जाय तो मालूम हो सकता है कि-विल्लीका अधिकार ही क्या है, जो चूहे पर इस प्रकारके अन्यायसे आक्रमण करे ? । और ऐसे अन्यायको रोकना, यह क्या सज्जनोंका धर्म नहीं है ? । अवश्य है । सज्जनों का यह परम कर्तव्य है कि, 'सबल जीव, दुर्बल जीवके ऊपर आक्रमण करता हो-अत्याचार करता हो-अन्याय करता हो, तो उसको रोकनेके लिये यथाशक्ति अवश्य ही प्रयत्न करें।' दूसरा कारण राग-द्वेषका दिखलाते हैं, यह भी ठीक नहीं है । अर्थात् चूहेको बचानेसे चूहे पर राग और बिल्लीपर द्वेष नहीं हो सकता। यहाँ राग-द्वेष होनेका कारण ही क्या है ? । चूहेने कौनसा हमारा कार्य कर दिया है कि जिससे उसपर राग हो । और बिल्लीने कौनसा हमारा कार्य बिगाड डाला है, जिससे हमारा उसपर द्वेष हो। अगर बिल्लीपर हमारा द्वेष ही होता तो, हम, उसी समयमें एक कुत्ता आकर बिल्लीको मारने लगे, तो, उस बिल्लीको क्यों बचावें । लेकिन नहीं, उस समय हम बिल्लीको भी बचावेंगे। अब कहाँ रहा राग-द्वेष ?। इस लिये समझना चाहिये कि-जीवोंको जो बचाये जाते हैं, वे रागसे नहीं, किन्तु दयाके परिणामसे-अनुकंपाकी बुद्धिसे । बस, इसी प्रकार जिस अभिप्रायसे, बिल्लीसे चूहेको और कुत्तेसे बिल्लीको बचाये जाते है, उसी अभिप्रायसे गिरे हुए पक्षीको मालेमें रखनेमें, जलते हुए मकानके किंवाडोंको खोल पशुओंको निकाल. नेमें और गाडेके नीचे आए हुए बबेको उठाकर अलग रखनेमें
SR No.007294
Book TitleTerapanthi Hitshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherAbhaychand Bhagwan Gandhi
Publication Year1915
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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