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अनुकंपा सकी सातवीं ढालमें इस प्रकारके सात दृष्टान्त दिये
है:
१ मेंढक-मच्छ वगैरह जीवोंसे भरे हुए पानीके कुंडमें भैंस पापीको आई ।
२ खडे हुए अनाजके ढेरको, जिसमें बहुत जीव हैं, खानेके लिये एक बकरा आया ।
३ जमीन कंदसे भरे हुए गाडेको देखकर एक बैल खानेके लिये आया ।
४ अनछने कच्चे पानिके घडे भरे हुए पडे हैं, उनको देख एक गाय पानी पीने आई ।
५ किसी स हुए खात बहुत जीव पडे हैं, उनको खानेके लिये कुर्कुट ( कूकडे ) वगैरह जीव आए ।
६ एक स्थान में बहुत चूहे फिर रहे हैं, उनको पकडने के लिये बिल्ली आई |
७ खांड - गुडके ऊपर बहुत मक्खियें बैठी हैं, उनको पकडने के लिये मकोडे आये ।
अब तेरापंथी, कहते हैं कि - " साधु, इन सातों प्रसंगों में मौन रहे । क्योंकि - उसका तो समस्त जीवोंपर समभाव है, फिर चाहे एकेन्द्रिय हों, चाहे पंचेन्द्रिय | "
लेकिन तेरापंथियोंने ऐसा समभाव दिखलाकर बडा भारी अनर्थ किया है । साधु, कहाँपर मौन रहे ? और कहाँपर जीवोंके बचानेका प्रयत्न करे, यह खांस समझनेका विषय है । और यह बात तब ही समझी जा सकती है, जब कि - जीवों के एकेन्द्रियादि भेद समझे जाँय । तेरापंथियोंमें इस प्रकारका ज्ञान नहीं होने से ही वे ऐसे