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________________ १२६ अनुकंपा सकी सातवीं ढालमें इस प्रकारके सात दृष्टान्त दिये है: १ मेंढक-मच्छ वगैरह जीवोंसे भरे हुए पानीके कुंडमें भैंस पापीको आई । २ खडे हुए अनाजके ढेरको, जिसमें बहुत जीव हैं, खानेके लिये एक बकरा आया । ३ जमीन कंदसे भरे हुए गाडेको देखकर एक बैल खानेके लिये आया । ४ अनछने कच्चे पानिके घडे भरे हुए पडे हैं, उनको देख एक गाय पानी पीने आई । ५ किसी स हुए खात बहुत जीव पडे हैं, उनको खानेके लिये कुर्कुट ( कूकडे ) वगैरह जीव आए । ६ एक स्थान में बहुत चूहे फिर रहे हैं, उनको पकडने के लिये बिल्ली आई | ७ खांड - गुडके ऊपर बहुत मक्खियें बैठी हैं, उनको पकडने के लिये मकोडे आये । अब तेरापंथी, कहते हैं कि - " साधु, इन सातों प्रसंगों में मौन रहे । क्योंकि - उसका तो समस्त जीवोंपर समभाव है, फिर चाहे एकेन्द्रिय हों, चाहे पंचेन्द्रिय | " लेकिन तेरापंथियोंने ऐसा समभाव दिखलाकर बडा भारी अनर्थ किया है । साधु, कहाँपर मौन रहे ? और कहाँपर जीवोंके बचानेका प्रयत्न करे, यह खांस समझनेका विषय है । और यह बात तब ही समझी जा सकती है, जब कि - जीवों के एकेन्द्रियादि भेद समझे जाँय । तेरापंथियोंमें इस प्रकारका ज्ञान नहीं होने से ही वे ऐसे
SR No.007294
Book TitleTerapanthi Hitshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherAbhaychand Bhagwan Gandhi
Publication Year1915
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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