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[ ५ ] ताम्रपत्र, दानपत्र शिक्का और घटना के समकालिन प्रमा
णिक पुरुषों के लिखे हुए प्राचीन ग्रन्थ ही हो सकते हैं । . .. और इनको ही हम प्रत्यक्ष प्रमाण कहते हैं। शान्ति-आपका कहना ठीक है पर यह सामग्री एकाद व्यक्ति
का इतिहास लिखने में भी पर्याप्त नहीं है तो विशाल भारत ___ के इतिहास के लिये तो नहीं के बराबर हैं। यदि इस
प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ परीक्षा प्रमाण का सहयोग लिया
जाय तो फिर भी सामग्री की विशालता हो सकती है । कान्ति-इस बात को मानने के लिये मैं तैयार नहीं हूँ। . शान्ति-यह आपकी पढ़ाई नहीं पर एक किस्म का हटबाद है। ... भला, लीजिये एक उदाहरण चन्द राजा का शिलालेख संवत्
९८० वर्ष का मिला उसी वंश के नन्द राजा का दूसरा शिलालेख १०७१ का मिला । बीच में ९१ वर्ष का कोई भी साधन नहीं मिला, अब आप क्या करेंगे ? एक राजा का ९१ वर्ष राज होना मानेंगे ? या अनुमान प्रमाण से बीच में एक
राजा होना स्वीकार करेंगे, जब वंशावलियों में चन्द ., का पुत्र भीम और भीम का पुत्र नन्द लिखा मिलता है
तो क्या आप भीम को स्वीकार करेंगे कि जिसका आप के
इतिहास में नाम निशान भी नहीं है। .. कान्ति-नाम चाहै भीम हो या दूसरा हो पर ९१ वर्ष में एक .. राजा होना तो हमको मानना ही पड़ेगा। शान्ति-जब प्राचीन ग्रन्थ और वंशावलियों को अनादर की __ दृष्टि से क्यों देखते हो ? कान्ति-वंशावलिए या कई प्राचीन ग्रन्थ हमने देखे हैं उनमें