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जैन राजाओं का इतिहास
कुमार को राज देकर भगवान् महावीर के चरण कमलों में भगवती जैन दीक्षा ग्रहण कर मोक्ष पद प्राप्त आपके पुत्र अभिचकुमार तथा महाराजा केशी ने का खूब प्रचार किया ।
किया था । भी जैनधर्म
"भगवती सूत्र”
( २१ ) श्रावन्ती नगरो के - महाराजा चंडप्रयोधन जैन धर्म बड़ी रुचि से पालन करते थे ।
"उत्तराध्ययन सूत्र”
(२२) कपीलपुर नगर के महाराजा संयति ने भगवती जैन दीक्षा को पालन कर अक्षय सुख को प्राप्त किया था ।
'उत्तराध्ययन सूत्र " अ० १८
( २३ ) दर्शानपुर नगर के महाराजा दर्शानभद्र ने एक समय भगवान् महावीर का स्वागत बड़ा ही शानदार किया था पर मन में ऐसा अभिमान आया कि भगवान् के उपासक अनेक राजा हैं पर मेरे जैसा स्वागत शायद ही किसी ने किया हो ? यह बात वहाँ पर आये हुए शक्रेन्द्र को ज्ञात हुई जिसने वैक्रय से अनेक रूप बनाया कि जिसको देखते ही राजा दर्शानभद्र का गर्व गल गया । अब वह इस सोध में था कि इन्द्र के सामने 'मेरा मान कैसे रह सके । आखीर उन्होंने ठीक सोच समझ के - महावीर प्रभु के पास भगवती जैन दीक्षा स्वीकार करली । यह देख इन्द्र ने आकर उन मुनि के चरणों में शिर झुका कर कहा