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________________ : प्राग्वाट-इतिहास: [तृतीय सार प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० शा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १६४३ फा० शीतलनाथ तपा० विजयसेन- पत्तनवासी प्रा० ज्ञा० श्राविका बाई पूराई के पुत्र देवचन्द्र । शु० ११ गुरु० सूरि की स्त्री बाई हांसी के पुत्र रायचन्द्र भीमचन्द्र ने. श्री चीरेखाने के जिनालय में सं० १५-५ फा० सम्भवनाथ सर्वसरि प्रा. ज्ञा. शा. घेरा स्त्री पूजी के पुत्र पूनमचन्द्र भा० कृ. ६ सोम. ललतूदेवी पुत्र तोलचन्द्र के पुत्र कर्मसिंह ने. अजमेर सं० १५२१ ज्ये० सुमतिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा. ज्ञा० शा. जयपाल की स्त्री वासूदेवी के पुत्र शा० शु०४ हीराचन्द्र स्त्री हीरादेवी के पुत्र शा. मांडण ने स्वस्त्री रंगादेवी के श्रेयोर्थ. सं० १५२५ चै० सुविधिनाथ ............ प्रा० ज्ञा० श्रे० सोमचन्द्र स्त्री रहलादेवी के पुत्र शिवराज ७० ६ शनि० स्त्री सौभागिनी के पुत्र पद्मा ने स्वस्त्री पहूती के सहित. सं० १५२७ पौ० नेमिनाथ तपा० जिनरत्न- प्रा० ज्ञा० म० हेमादेवी के पुत्र बईजा (?) ने स्वसा कलाकृ० १ सरि देवी के श्रेयोथे. श्री सम्भवनाथ-जिनालय में सं० १३७६ वै० शांतिनाथ महेन्द्रसरि प्रा. ज्ञा० महं० कंधा के पुत्र मान्हराज ने. कृ. ५ गुरु० सं० १४८१ मा० पद्मप्रभ सोमसुन्दरसरि प्रा० ज्ञा० श्रे............. शु०१० सं० १४६६ माघ सम्भवनाथ , प्रा० ज्ञा० श्रे० धीरजमल स्त्री धीरलदेवी के पुत्र भीमराज स्त्री भावलदेवी के पुत्र वेलराज की स्त्री वीरणीदेवी ने. सं० १५१७ माघ धर्मनाथ आगमगच्छीय- प्रा. ज्ञा० श्राविका हर्ष के पुत्र नागराज की स्त्री श्राजी के शु० ५ शुक्र० देवरत्नसरि पुत्र श्रे० जिनदास ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५४७ माष वासुपूज्य श्रीसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० रूपचन्द्र भा० देदेवी के पुत्र मेरा ने स्वस्त्री हीरादेवी के श्रेयोर्थ. जै० ले०सं०मा०ले०५०४,५११,५३५, ५३७,५३८,५४५, ५४६,५५३, ५५७, ५६३।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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