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खण्ड] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा०मा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-भारत के विभिन्न प्रसिद्ध २ नगर-कलकत्ता:: [४६३
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. आचार्य प्रा०. हा मतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५३६ फा० नमिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- पींडरवाटक में प्रा० ज्ञा० मुण्ठलियागोत्रीय श्रे० हीरा शु० १२
परि भार्या रूपादेवी पुत्र देपा भा० गीमतिके पुत्र गांगा ने
स्वस्त्री नाथी, पुत्र भेरा, भ्राता गोगादि कुटुम्ब के सहित. कलकत्ता के बड़े बाजार में श्री धर्मनाथ-पंचायती-जिनालय में सं० १३४६ ज्ये० आदिनाथ- ............ प्रा. ज्ञा० महं० सादा के पुत्र महं० राजा के श्रेयोर्थ शु० १४ धातु-प्रतिमा
उसके पुत्र महं० मालहिवि ने. सं० १३७५ शान्तिनाथ हेमप्रभसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० आम्रचन्द्र भार्या रत्नादेवी के पुत्र सहजा ने. सं० १४५६ ज्ये० आदिनाथ ........... प्रा. ज्ञा० श्रे० रतना भार्या लच्छलादेवी के पुत्र सोगा ने कु. १३ शनि०
माता-पिता के श्रेयोर्थ. सं० १५२४ वै० . शीतलनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा. ज्ञा० श्रे० पाता भा० बाबू के पुत्र जोगराज ने स्वस्त्री
सरि जावड़ि, पुत्र रामदास, भ्राता अर्जुन भार्या सोनादेवी
के सहित.
श्री शीतलनाथ-जिनालय में (माणिकतला) सं० १५५७ माघ कुन्थुनाथ श्रीसूरि सीणोतनगरीवासी प्रा० ज्ञा० लीबागोत्रीय श्रे० गेला भा० कु. १३ बुध.
चंदर के पुत्र शा. राजा, बना, तपा, हरपाल भार्या
जीविणीदेवी, पुत्र हासा, वसुपालादि के सहित.
यति श्री पन्नालालजी मोहनलालजी के गृहजिनालय में सं० १५१६ फा० विमलनाथ तपा० रत्नशेखर- प्रा० ज्ञा० श्रे० जोगा की स्त्री मृगदेवी के पुत्र शा•
सरि उदयराज ने स्वस्त्री कर्मादेवी, पुत्र प्रह्लाद के सहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १७७१ वै० शांतिनाथ विजयऋद्धिसरि प्रा० ज्ञा० बृ० शा० श्रे० प्रेमचन्द्र, ग्रामीदास ने स्वश्रेयोर्थ. कृ. ५ गुरु०
अजायबघर में पाषाणप्रतिमा सं० १६०८ माघ शांतिनाथ
प्रा० ज्ञा० शा० राघव स्त्री रत्नादेवी, शा. नरसिंह की कृ.8 गुरु०
सुजलदेवी, शा० रणमल स्त्री वेनीदेवी और पुत्र लाला सीमल ने.
जै० ले० सं० भा० १ ले० ७३, ६०,६१,६४,१०६,१२६, ३६२, ३६३, ३६५।