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________________ ८०] :: प्राग्वाट-इतिहास : [तृतीय प्र०वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२१ माष सुमतिनाथ तपा० सोमदेवभरि प्रा० ज्ञा० सं० हापा की स्त्री हांसलदेवी के पुत्र सं० शु० १३ नासण की स्त्री नागलदेवी के पुत्र नारद ने स्वभा० कर्मा देवी प्रमुखकुटुम्वसहित स्वश्रेयोर्थ. श्री कुन्थुनाथ-जिनालय सं० १५०६ वै० महावीर रत्नशेखरसूरि प्रा. ज्ञा० श्रे० विरुआ की स्त्री विभूदेवी के पुत्र नरसिंह शु० (तपा) ने स्वश्रेयोर्थ. श्री शीतलनाथ-जिनालय में (कुम्भारवाड़ा) सं० १४- संभवनाथ नागेन्द्र० गुणकरसूरि प्रा० ज्ञा० पुत्र पूजा ने स्वपिता के श्रेयोर्थ. सं० १५५३ माघ पार्श्वनाथ तपा० हेमविमल- प्रा० ज्ञा० श्रे० प्रताप की स्त्री सुहामणि के पुत्र गोगराज शु० ५ रवि० सूरि ने स्वभा० मनकादेवी, पुत्र वीपा, फतेह, लका आदि कुटुम्बसहित पिता के श्रेयोर्थ. श्री शांतिनाथ-जिनालय (ऊंडीपोल) सं० १५३२ वै० अभिनंदन तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० श्रे० हेमराज की स्त्री डबीदेवी के पुत्र शिवराज सरि ने वृ० भ्रातृ पूजादि कुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६१ वै० वासुपूज्ज आगमगच्छीय गंधारवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० कान्हा की स्त्री खोखीदेवी,मेलादेवी शु० ६ शुक्र० संयमरत्नमरि के पुत्र वस्तुपाल ने स्वभा० वल्हादेवी प्रमुखकुटुम्ब के सहित. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में (दंतालवाड़ा) सं० १५२१ वै० सम्भवनाथ अंचलगच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० भरमा की स्त्री छाली के पुत्र दीना जीवा, शु० ६ बुध० जयकेसरिसूरि इनमें से सुश्रावक जीवा (जीवराज) ने स्वभा० कुंअरिदेवी, । भ्रातृ सदा, चांदा, चांगा के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२३ वै० कुन्थुनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- सोजींत्रावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० हापा की स्त्री हांसलदेवी के कृ. ४ गुरु० सूरि पुत्र गुणिया ने भ्रात् राजमल भा० रमादेवी पुत्र आसधीर, श्रीपाल, श्रीरंग आदि कुटुम्ब-सहित. श्री आदिनाथ-जिनालय में सं० १४१५ ज्ये. पार्श्वनाथ नायलशाखीय जघरालवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० गाहिस(?) के भ्राता नलराज ने कु. १३ रवि० सागरचन्द्रसूरि मातृ-पितृव्य० वीक्रम के श्रेयोर्थ. श्री चतुर्मुखा-सुमतिनाथ-जिनालय में (चोलापोल) #० १५६१ ज्ये० सुविधिनाथ श्रीककसरि स्तम्भतीर्थ में प्रा० ज्ञा० संघ० कुझा की भार्या गुरुदेवी के शु० २ बुध० पुत्र सं० हंसराज की स्त्री हांसलदेवी ने पुत्र सं० हर्षा आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. जै० धा०प्र०ले० सं०भा०२ ले०६३३,६४०,६५३,६५४,६७७,६७३,६८१,५८५, ६८६,६६१।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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