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खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें – गूर्जर काठियावाड़ और सौराष्ट्र- छायापुरी :: [ ४७३
हिन्दविजय मुद्रणालयवालों के गृहजिनालय में
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा सं० १६४४ ज्ये० शु० १२ सोम ०
शांतिनाथ
० लीलाभाई रायचन्द्र के गृहजिनालय में
सं० १५२५ मार्ग अजितनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० मं० चांपा भा० चांपलदेवी के पुत्र मं० साईश्र भा० सहजलदेवी, वइजलदेवी, पुत्र हेमराज, धनराजादि के सहित माता के श्रेयोर्थ.
शु० १०
सं० १६३२ माघ श्रेयांसनाथ तपा० हीरविजय
सूर
मुनिसुव्रत
शु० १० बुध ०
सं० १६४४ ज्ये० शु० १२ सोम ०
सं० १६८३ फा० कृ० ४ शनि ०
सं० १४८६ वै०
शु० १० बुध ०
प्राचार्य
प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि
तपा० विजयसेनसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० जसवीर की स्त्री कीकी के पुत्र धनराज ने.
सं० १५२१ ज्ये० शांतिनाथ
शु० ४
सं० १५२६
विमलनाथ
तपा० विजयसेन
सूरि
० मोतीलाल हर्षचन्द्र के गृहजिनालय में
सुविधिनाथ तपा० विजयाणंद- जंबूसरवासी प्रा० ज्ञा० ० वोरा उदयकरण भा० ऊभूरिदेवी सूरि पुत्र शान्तिदास ने.
के
छायापुरी (वाणी) के श्री शांतिनाथ - जिनालय में
विमलनाथ - तपा० सोमसुन्दरसूरि प्रा० ज्ञा० ० सरवण की स्त्री सुहवदेवी के पुत्र देदराज पंचतीर्थी ने स्वभा० जासूदेवी, पुत्र लक्ष्मण, अमरसिंह, समधर, धनराजादि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
मंडपदुर्ग में प्रा० ज्ञा० सं० अर्जुन की स्त्री टबकूदेवी के पुत्र सं० वस्तीमल की स्त्री रामादेवी के पुत्र चांदमल की स्त्री जी विणी ने स्वपुत्र लांबराज, आकराजादि कुटुम्ब - सहित स्वश्रेयोर्थ.
अहमदाबादवासी प्रा० ज्ञा० ० हंसराज ने भा० हांसल - देवी, पुत्री रत्नादेवी एवं स्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० ० जसवीर की स्त्री कीकी के पुत्र कुँवरजी ने.
तपा० लक्ष्मीसागर- जयंतपुर में प्रा०ज्ञा० ० तिहुणसिंह की स्त्री करणदेवी के पु० मनोहरसिंह ने स्वभा० चमकूदेवी, पुत्र वरसिंह, पितृव्य मुहणसिंह, लखराजादि के सहित.
सूरि
जे धा० पु० ले० सं० भा० २ ० २४२, २५२, २५०, २५१, २५४, २६३, २५७, २६४ ।