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खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा०वा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - गूर्जर- काठियावाड़ और सौराष्ट्र-बड़ोदा : | Y
श्री श्रादीश्वर - जिनालय में ( जानीसेरी ) प्र० श्राचार्य
प्र० वि० संवत्
सं० १३८६ माघ कृ० २ सोम ०
सं० १५११ ज्ये०
पार्श्वनाथ तपा० रत्नशेखर
कृ० १३
सूरि
सं० १५२१ ज्ये० सुमतिनाथ तपा० लक्ष्मीशु० ४ सागरसूरि
सं० १५३२ वै० शु० ३
सं० १५१३ वै० शु० १०
सं० १६७८ आश्वि०
कृ० १४ गुरु०
सं० १३३८ चै०
कृ० २ शुक्र ० सं० १४०१ वै०
कृ० ३ बुध० सं० १४८० ज्ये०
शु० ५ सं० १५१५ वै०
शु० १३
प्र० प्रतिमा
शांतिनाथ चैत्रगच्छीय
मानदेवसूरि
आदिनाथ तपा० लक्ष्मी
सागरसूरि
नमिनाथ
तपा० रत्नशेखरसूरि
ऋषिमंडल उपाध्याय
यंत्र
चन्द्रप्रभ
श्री चिंतामणि- पार्श्वनाथ - जिनालय में (पीपलासेरी)
विजयराजगणि
पार्श्वनाथ उपाध्याय -
वयरसे
पार्श्वनाथ माणिक्यसूरि
प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि प्रा० ज्ञा० मं० लूणा के श्रेयोर्थ उसके पुत्र नागपाल, धनपाल ने.
तपा० सोमसुन्दर
सूरि विमलनाथ तपा० रत्नशेखर
सूरि
प्रा० ज्ञा० श्रे० देदा की स्त्री रयणीदेवी के पुत्र बहुआ की स्त्री चाईदेवी नामा ने स्वभ्रातृ जावड़ के श्रेयोर्थ. मंडपदुर्ग में प्रा० ज्ञा० मं० कडूआ की स्त्री कर्मादेवी के पुत्र मं० माधव की स्त्री फदू के पुत्र संग्राम ने स्वभा० पद्मावती, पुत्र सायर, रयण, आयर आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० श्रे० कडूआ की स्त्री वाळूदेवी के पुत्र हरपाल ने स्वभा० हीरादेवी, पुत्र जीवराज, जयसिंह कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० ० लूगा की स्त्री लूणादेवी के पुत्र खीमचन्द्र ने स्वभा० खेदेवी, श्रे० जीणादि कुटुम्ब के सहित.
श्री नेमिनाथ- जिनालय में (महेतापोल )
प्रा० ज्ञा० दो० ० नानजी पुत्र दवजी भा० श्रासबाई के पुत्र प्राग्वाटवंशभूषण केशवजी ने स्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० श्रे० वयरसिंह के पुत्र श्रे० लूणसिंह के श्रेयोर्थ उसके पुत्र साजण, तिजण ने.
प्रा० ज्ञा० श्रे० आंबड़ की स्त्री आल्हणदेवी ने पुत्र जड़ा के सहित पिता तथा माता नर्मदा के श्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० श्रे० सहजा की स्त्री जाणीदेवी के पुत्र चांपा ने स्वभा• 'चांपलदेवी के श्रेयोर्थ पुत्र उधरण के साहित. प्रा० ज्ञा० मं० महिराज भा० वर्ज के पुत्र मं० भांबराज, नागराज ने भा० संपूरीदेवी, सुहासिणिदेवी के सहित स्वमाता के श्रेयोर्थ.
जै० घा० प्र० ले० सं० भा० २ ले० १५०, १५५, १४६, १५१, १६२, १६७, १८२, १७६, १६८ ।