SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 668
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ wa] :: विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-पूर्जर काठियावाड़ और सौराष्ट्र-बड़ोदा : [४६ श्री महावीर-जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० झा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४४५ का. पार्श्वनाथ श्रीसरि प्रा. ज्ञा० महं० सलखण की स्त्री सलखणदेवी के पुत्र कृ० ११ रवि० ___ मं० भादा ने स्वश्रेयोथ. सं० १४६८ वै० शान्तिनाथ , प्रा. ज्ञा० मं० सामन्त की स्त्री ऊमलदेवी के पु० मं० शु० ३ बुध० धर्मसिंह की स्त्री धर्मादेवी के पुत्र मं० राउल बड़ा ने. सं० १५०५ आदिनाथ तपा० जयचन्द्र- प्रा. ज्ञा० श्रे० सांगा की स्त्री श्रृंगारदेवी के पुत्र शिवराज सूरि की स्त्री श्रे० दूदा देवलदेवी की पुत्री धरपू ने पुत्र नाथा के श्रेयोर्थ. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में (कोठीपोल) सं० १४२६ ज्ये० पार्श्वनाथ- श्रीरत्नाकरमरिपट्टधर प्रा० ज्ञा० श्रे० कोका की स्त्री राजलदेवी के पौत्र तिहुण कृ. चोवीशी हेमचन्द्रसरि देवी के पुत्र अमीपाल ने. सं० १५०४ माघ कुन्थुनाथ तपा० जयचन्द्रसूरि वीरमग्रामवासी प्रा०ज्ञा० सं० गेला की स्त्री धारु के पुत्र सं० शु० १३ गुरु० सलखा ने स्वभा कर्मणी, पुत्र धर्मसिंह,नारदादि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५३ माष चन्द्रप्रभ अंचलगच्छीय- प्रा. ज्ञा० श्रे० हरदास की स्त्री कर्मादेवी के पुत्र वर्द्धमान शु० १ बुध. सिद्धान्तसागरपरि की भा० चांपलदेवी के पुत्र श्रे० वीरपाल सुश्रावक ने भा० विमलादेवी, लघुभ्रात मांका सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री मनमोहन-पार्श्वनाथ-जिनालय में (पटोलीआपोल) सं० १२५६ वै० पार्श्वनाथ प्रद्युम्नसरि प्रा. ना. श्रे० कुणपाल ने पिता राणक के श्रेयोर्थ. सं० १४०८ आषाढ़ अजितनाथ तपा० जयशेखर- प्रा. ज्ञा० श्रे० इङ्गर की स्त्री हीरादेवी के पु० वेलराज ने कृ०५ गुरु० सरि स्वभा० वीजलदेवी के सहित माता-पिता के श्रेयोर्थ. सं० १४७१ माघ मुनिसुव्रत- अंचलगच्छीय प्रा. ज्ञा० दोणशाखीय श्रे० ठ० सोला पु० ठ० खीमा शु० १० शनि० चोवीशी महितिलकसरि पु० ठ० उदयसिंह पु० ठ० लड़ा स्त्री हकूदेवी के पुत्र श्रे. झांबट ने माता-पिता के श्रेयोर्थ. सं० १४८८ वै० मल्लिनाथ तपा० सोमसुन्दर- प्रा० ज्ञा० श्रे० पान्हा के पुत्र रामचन्द्र, खीमचन्द्र, प्रात मास में सरि मामा की स्त्री जीविणी नामा ने स्वपति के श्रेयोर्थ. जै० धा०प्र० ले० सं० भा० २ ले. ४०, ४३,४६, ५२, ५३, ६१,७२,८८, ६२,८६ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy