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प्राग्वाट-इतिहास :
[तृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० भाचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५०४ फा० कुन्थुनाथ तपा० जयचंद्रसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० माला की स्त्री रवधू के पुत्र सांडा ने
स्वभा० देऊदेवी आदि कुटुम्ब के सहित. सं० १५१७ फा० सुमतिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- मालवणग्रामवासी प्रा० ज्ञा० मं० माईश्रा के पुत्र रत्नचन्द्र ने
सूरि स्वभा० रानदेवी प्रमुखकुटुम्बसहित. सं० १५२५ माघ शांतिनाथ अंचलगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० मोन्हा की स्त्री माणिकदेवी के पुत्र भादा शु०३ सोम०
जयकेसरिसरि की स्त्री भावलदेवी के पुत्र दावा, ढाका ने स्वपूर्वजश्रेयोर्थ. सं० १५३८ वै० सुविधिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्राज्ञा० दो० श्रे० शिवदास की स्त्री भली नामा ने पुत्र
सरि सहजा, भजा, पुत्री पद्या प्रमुख-कुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ
अहमदाबाद में
श्रीशांतिनाथ-जिनालय में सं० १४२५ वै० शांतिनाथ श्रीमरि प्रा० ज्ञा० श्रे० गोटा ने पिता वरदेव, माता संसारदेवी के शु० १०
श्रेयोर्थ. सं० १५०५ पौ० पार्श्वनाथ तपा० जयचन्द्र- प्रा. ज्ञा० श्रे० खेता की स्त्री गांगीदेवी के पुत्र तेजसिंह ने
गरि स्वभा० कददेवी. पत्र समथर. मेला.
स्वभा० कदेवी, पुत्र समथर, मेला, भादा, चांदादि के
सहित भ्रात हाजी के श्रेयोर्थ. सं० १५०५ माघ विमलनाथ पूर्णिमापचीय प्रा. ज्ञा० श्रे० सदा की स्त्री लाड़ीवाई के पुत्र देपा ने शु०८ शनि
दयासागरपरि स्वश्रेयोर्थ. सं० १५८४ आषाढ़ आदिनाथ सौभाग्यनंदिगरि प्रा० ज्ञा० श्रे. जयसिंह स्त्री जसमादेवी, जना, हरदास ने.
श्री पार्श्वनाथ जिनालय में (देवसा का पाड़ा) सं० १४६० फा० वर्धमान तपा० सोमसुन्दरपरि प्रा० ज्ञा० महं० नरपाल भा० नामलदेवी के पुत्र वीसल ने शु० ११
स्वभा० वीम्हणदेवी पुत्र सादा, भादा, हांसादि कुटुम्ब के
सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०७ ज्ये० मुनिसुव्रत तपा० रत्नसिंहसरि वालिंभावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० कर्मण भा० कर्मादेवी के पुत्र शु०२
कांधा ने स्वमा० धारूदेवी, पुत्र हांसा, वानरादि कुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ.
जे० धा०प्र० ले०सं०भा० १ ले०१०१६,EEE, १००८१०२१,१०२४, १०४६,१०५१, १०२५,१०५५, १०८६॥