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________________ बेड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - गुर्जर - काठियावाड़ और सौराष्ट्र-पत्तन :: [ ४४५ प्र० वि० सं० १४८३ माघ कृ० ११ गुरु० सं० १२७१ वत् प्र० प्रतिमा पार्श्वनाथ सं० १३६४ चै० कृ० ६ सं० १४८५ वै० विमलनाथ शु० ८ सोम ० सं० १५३० माघ श्रेयांसनाथ शु० १३ सोम ० सं० १५५२ श्राषा. सुमतिनाथ शु० २ रवि ० सं०१२ (१) ७० फा० अजितनाथ कृ० २ सं० १६६२ वै० शु० १५ सोम ० सं० १५०१ माघ शीतलनाथ शु० १३ गुरु० सं० १५०८ वै० शु० ३ सं० १६६४ फा० शु० ८ शनि ० श्री मनमोहनपार्श्वनाथ - जिनालय के गर्भगृह में (खजूरी-मोहल्ला) श्रीसूरि राजशेखरसूरि पूर्वर उएसगच्छीय सिद्धसूरि चन्द्रप्रभ प्र० श्राचार्य आगमगच्छीय श्रीसूरि तपा० प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि प्रा० ज्ञा० श्रे० मेघराज की स्त्री मेवूदेवी के पुत्र आम्रसिंह ने स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० श्रे० खीमा ने स्वस्त्री अरघूदेवी पुत्र पंचायण, free स्त्री सोही पुत्र वच्छादि सहित. विमल - वड़लीवासी प्रा० ज्ञा० ० डोसा की स्त्री डाही की पुत्री महीनामा ने स्वश्रेयोर्थ. वृ० त० रत्न सिंहसूर तपा० रत्नशेखरसूरि प्रा० ज्ञा० ० तिहुणसिंह ने पिता साजण और माता जाखणदेवी के श्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० सूर श्री जुने-जिनालय में धातु - प्रतिमा ( लींबड़ी - पाड़ा) भावदेवसूरि प्रा० ज्ञा० ० पातल की स्त्री कोल्हणदेवी के पुत्र देव ने स्वभा० देवलदेवी के सहित माता-पिता के श्रेयोर्थ. विजयहीरसूरि विजयसेनसूरि श्री बड़े जिनालय में विजयसेनसूरि- विजयदेव सूर प्रा० ज्ञा० श्रे० बीजा स्त्री वीन्हदेवी के श्रेयोर्थ पुत्र सोमा ने. प्रा० ज्ञा० मं० वदा भा० रूजी पुत्र मं० ठाकुरसिंह भा० फदू के पुत्र मं० पर्वत ने माता के श्रेयोर्थ. श्री पंचासरा - पार्श्वनाथ - जिनालय में वीरमग्राम वासी प्रा० ज्ञा० श्रे० कद्रमा भा० मटकू के पुत्र भाषा ने स्वभा० फातू (पुत्र) वेला, माणिकादि कुटुम्बसहित सर्वश्रेयोर्थ. पत्तनवासी प्रा० ज्ञा० वृ० शा० दोसी शंकर की त्री वाल्हीदेवी ने पुत्र कुंवरजी और भातृव्य श्रीवंत भार्या श्राजाईदेवी पुत्र लालजी, पुत्र रत्नजी आदि परिवारसहित स्वश्रेयोर्थ. जै० घा० प्र० ले० सं० भा० १ ले०, ३१७, २४६, २५५, २४४, २५२, २५४ । प्रा० ले० सं० भा० १ ले० ३१, १७६, २३६ । प्रा० जे० ले ० सं० भा० २ ले० ५११, ५१२ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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