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प्राग्वाट इतिहास :
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.. [तृतीय
गोगिल के पत्रदेव नाम का पुत्र हुआ । श्रे० पद्मदेव सुकृती और सुकृतज्ञ था। श्रे० पद्मदेव की स्त्री का नाम सुरलक्ष्मीदेवी था, जो धर्मक्रिया में दृढ़हृदया और उदारचेता श्रे० रमणी थी। उसके सुभटसिंह, क्षेमसिंह, स्थिरपाल नाम के तीन कीर्तिशाली पुत्र हुये थे। श्रे० सुभटसिंह के सोनिकादेवी नामा अति रूपवती स्त्री थी, जिसकी कुक्षि से तेजा, जयंत, जावड़ और पातल नाम के चार पुत्र हुये और कामी, नामल, चामिका नाम की तीन गुणवती कन्यायें हुई थीं। श्रे० स्थिरपाल की देदिका नामा स्त्री थी। उसके नस्साल, हापाक, त्रिभुवन, काछुक, केन्हाक और पेथड़ नाम के छः पुत्र थे । श्रीमद् नरचन्द्रसरि के शिष्य श्रीमद् रत्नप्रभसरि द्वारा श्रे० स्थिरपाल ने 'धर्मविधि' ग्रन्थ का वाचन करवाया।
वंश-वृक्ष धणदेव [सहजलदेवी]
ब्रह्माक
लींवा [गौरदेवी] कडुसिंह [कडुदेवी]
झंझण
पाशाधर
धरणाक
गोगिल
पनदेव [सुरलचमी]
सुभटसिंह [सोनिका] चेमसिंह स्थिरपाल दिदिका
नरपाल हापाक त्रिभुवन काछुक
केन्हाक
पेथड़