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प्र. विक्रम संवत्
६०-१५२८ ज्ये० कृ० ११
६१ - १५३२ ज्ये० शु० २ रविवार
६२-१५३२
६३-१५३३ फा० ६
प्र. प्रतिमा
विमलनाथपंचतीर्थी
संभवनाथ
पंचतीर्थी
शीतलनाथपंचतीर्थी
वासुपूज्यपंचतीर्थी
६४ - १५३६ चै० कृ० ५ आदिनाथ
गुरुवार पंचतीर्थी ६५ - १५४२ वै० कृ० ११ वासुपूज्यपंचतीर्थी
:: प्राग्वाट - इतिहास ::
प्र. आचार्य
तपा०
लक्ष्मीसागरसूरि
६६ - १५५१ माघ शु० ५ मुनिसुव्रतशनिवार पंचतीर्थी
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श्री सूरि
[ तृतीय
प्रतिमाप्रतिष्ठापक श्रेष्ठि
प्रा० ज्ञा० श्रे० डहामल की स्त्री मधुमति के पुत्र वडआ ने स्वस्त्री मेही, पुत्र खीमराज आदि कुटुम्बीजनों के सहित ० छाला के श्रेयार्थ.
सांगवाड़ावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० गोसल की स्त्री कर्मादेवी के पुत्र श्र े० तोलराज की स्त्री चाहिणदेवी के पुत्र वनराज ने स्वस्त्री अमरदेवी, पुत्र केल्हा आदि कुटुम्बीजनों के सहित स्वयार्थ नीतोड़ावासी प्रा० ज्ञा० मं० लूगराज के पुत्र मं० लांपा की स्त्री वयजूदेवी के पुत्र मं० धर्मराज ने स्व भ्राता सालिग, डूंगर और पुत्र राणा विमलदास, कर्मसिंह, हीरा, वीरमल, ठाकुरसिंह, होला आदि बीजनों के सहित
प्रा० ज्ञा० ० डूंगर की स्त्री मेही के पुत्र आसराज स्वस्त्री गांगी, पुत्र धारा और भ्राता जसराज, धनराज आदि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयार्थ
कुलिग्राम में प्रा० ज्ञा० श्रे० शिवराज ने स्वस्त्री पूरीदेवी, पुत्र सोमादि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयार्थ धनेरीग्राम में प्रा० ज्ञा० ० हेमा की स्त्री मचकूदेवी के पुत्र हीरा स्त्री आपू पुत्र अदा ने स्वस्त्री चमकूदेवी यदि कुटुम्बीजनों के सहित अपने पूर्वजों के श्रयार्थ प्रा०ज्ञा० श्र े० खीमराज ने भीमराज आदि कुटुम्बीजनों के श्रेयार्थ
श्र० प्रा० ले ० जे०सं० भा० २ ले० (६०) ६४६, (६१) ६५१, (६२) ६५२, (६३) ६५४, (६४) ६५६, (६५) ६५७, (६६) ६५८.