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खण्ड] : तीर्थ एवं मन्दिरों में प्राज्ञा० सद्गृहस्थ के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य-श्री अर्बुदगिरितीर्थ :: [३०१
श्रेष्ठि पूपा और कोला
वि० सं० १३७६ __श्री लूणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-चैत्यालय में नंदिग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय श्रे०..... सिंह के पुत्र पूपा और कोला ने श्री पार्श्वनाथचिंच को वि० सं० १३७९ वैशाख के शुक्लपक्ष में प्रतिष्ठित करवाया ।१
श्रा० रूपी
वि० सं० १५१५ श्री गुणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-चैत्यालय के गूढमण्डप में अर्बुदाचलस्थ श्री देलवाड़ाग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय व्य० झाँटा की स्त्री वन्ही की पुत्री रूपी नामा श्राविका ने, जो व्य. वाघा की स्त्री थी अपने भ्राता व्य० आल्हा, पाचा तथा व्य० आल्हा के पुत्र व्य० लाखा और लाखा की पत्नी देवी तथा देवी के पुत्र खीमराज, मोकल आदि पितृकुटुम्बसहित वि० सं० १५१५ माघ कृ. ८ गुरुवार को तपागच्छीय श्री सोमसुन्दरसूरि के शिष्य श्री मुनिसुन्दरसूरि के पट्टधर श्री जयचन्द्रसूरि के शिष्य श्रीमद् रत्नशेखरसूरि के द्वारा श्री राजिमती की बहुत ही भव्य, बड़ी और खड़ी प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया । श्रीमद् रत्नशेखरसूरि के संग में उनके परिवार के अन्य आचार्य श्रीमद् उदयनंदिसूरि, श्री लक्ष्मीसागरसूरि, श्री सोमदेवसूरि और श्रीमद् हेमदेवसरि आदि भी थे ।२
श्रेष्ठि ड्रङ्गर .
वि० सं० १५२५ श्री लूणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ चैत्यालय में वि० सं० १५२५ वैशाख शु. ६ को प्राग्वाटज्ञातीय शाह लीला की स्त्री घोघरी के पुत्र शाह डूंगर ने अपनी स्त्री देवलदेवी तथा पुत्र देठा आदि के सहित श्री सुविधिनाथ भगवान् की धातु की छोटी पंचतीर्थी-प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा जैनाचार्य श्रीसरि के द्वारा सीरोहड़ी नामक ग्राम में हुई थी।३
श्रेष्ठि चांडसी श्री लूणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-चैत्यालय में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० चांडसी ने भगवान् नेमिनाथ की सपरिकर बड़ी प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई ।४
महं० वस्तराज श्री लूणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-चैत्यालय में प्राग्वाटज्ञातीय मं० सिरपाल की स्त्री संसारदेवी के पुत्र महं० वस्तराज ने अपनी माता के श्रेय के लिये श्री पार्श्वनाथविंव को प्रतिष्ठित करवाया ।५
श्रेष्ठि पोपा श्री लुणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-चैत्यालय की आठवीं देवकुलिका प्राग्वाटज्ञातीय व्य० पोपा ने अपने श्रेय के लिये अपने पुत्र लापा के सहित प्रतिष्ठित करवाई ।६
अ० प्रा० ० ले०सं०भा० २ ले० ३७६,२५५।२५७,३४०६।२७८,३७८