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________________ २४६ ] :: प्राग्वाट-इतिहास: [द्वितीय दण्डनायक जैसे महान् उत्तरदायी एवं जोखमभरे पदों पर रहकर आदि से अंत तक गूर्जरसाम्राज्य की महान् से महान् सेवायें की हैं, जिनका परिचय इस ही इतिहास में दिया जा चुका है। महामात्यवस्तुपाल के वंश ने भी गूर्जरभूमि की बड़ी २ सेवायें की हैं-इसी इतिहास में देखिये । यहाँ इतना ही कहना अलं है कि प्राग्वाटवर्ग का राजनीति के क्षेत्र में इन शताब्दियों में पूरा २ वर्चस्व रहा है और गूर्जरसाम्राज्य के जन्म में, उत्थान में और उसको सुदृढ़ और शताब्दियों पर्यन्त स्थायी रखने में प्राग्वाटव्यक्तियों का श्रम, शौर्य और बुद्धि प्रधानतः लगी हैं-गूर्जरभूमि और उसके शासकों का इतिहास इस बात को अक्षरशः सिद्ध कर रहा है। अन्य प्रान्तों में भी प्राग्वाटव्यक्ति इन शताब्दियों में राजनीति में पूरा २ भाग लेने वाले हुये हैं। परन्तु साधन-सामग्री के प्रभाव में उनके विषय में लिखा जाना शक्य नहीं है ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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