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________________ :: प्राग्वाट-इतिहास:::...: [द्वितीय .......... कासिन्द्रा के श्री शांतिनाथ-जिनालय के निर्माता श्रे० वामन .. . . वि० सं० १०६१ श्रे० बामन के पूर्वज ग्यारहवीं शताब्दी से पूर्व भिल्लमालपुर में रहते थे। श्रे० वामन के पितामह श्रे० गोलंच्छी भिल्लमाल का त्याग करके कासिन्द्रा ग्राम में आकर बसे थे ।१-२ श्रे० गोलंच्छी के जज्जुक, नम्म और राम तीन पुत्र थे। श्रे० गोलंच्छी अत्यन्त ही धनवान था। उसका राजा महाराजाओं में भारी संमान था। वह गुणरूपी रत्नों की खान माना जाता था और अपने वंशरूपी कमल के लिये सूर्य के समान सुख पहुंचाने वाला था। ऐसे श्रेष्ठिवर्य गोलंच्छी के तीनों पुत्र भी महागुणात्य एवं धर्ममूर्ति ही थे। श्रे० वामन श्रे० जज्जुक का पुत्र था । श्रे० वामन भी महागुणी और सदा मोक्ष की इच्छा रखने वाला शुद्धव्रतधारी श्रावक था । श्रे० वामन ने भगवान् शान्तिनाथ का अति ही मनोहर जिनालय वि० सं० १०६१ में बंधवा कर महामहोत्सवपूर्वक उसको प्रतिष्ठित करवाया और उसमें भगवान् शान्तिनाथ की दिव्य प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई। . प्राचीन गूर्जर-मन्त्री-वंश गुर्जरमहाबलाधिकारी दण्डनायक विमल और उसके पूर्वज एवं वंशज गुर्जरसम्राट् वनराज : वि० सं० ८०२ से गूर्जरसम्राट् कुमारपाल : वि० सं० १२३३ पर्यन्त महामात्य निन्नक विक्रम की आठवीं शताब्दी में प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर श्रीमालपुर में निना, निनाक या निन्नक नामक कुलश्रेष्ठि गर्भश्रीमंत प्राग्वाटज्ञातीय एक पुरुष रहता था। वह कुलदेवी अंबिका का परम भक्त था । श्रीमालपुर४ के प्रसिद्ध दंडनायक विमल का प्रपिता. धनीजनों में वह अग्रगण्य था । देववशात् उसका द्रव्य कुछ कम हो गया और उसको मह श्रे० निनक श्रीमालपुर में रहने में लज्जा का अनुभव होने लगा। वह श्रीमालपुर को परित्यक्त करके गूर्जरप्रदेश के अन्तर्गत आये हुये गांभू नगर में जा बसा। वहाँ वह कुछ ही समय में अपनी बुद्धि, पराक्रम १-१० प्र० जै० ले० सं० लेखांक ६२१. २-प्रा० ० ले० सं० भा० २ लेखांक ४२७. ३-श्री विधिपक्ष (अंचल) गच्छीय 'महोटी पट्टावली', जिसका गुजराती-भाषांतर जामनगर निवासी पं० हीरालाल हंसराज ने किया है के पृ०८३-११५ देखिये । निन्नक को काश्यपगोत्रीय नरसिंह का पुत्र होना लिखा है, परन्तु इसकी किसी प्रशस्ति-लेख से पुष्टि नहीं होने के कारण यह मान्य नहीं किया गया है। ४-श्रीमालपुराण, हेमचन्द्राचार्यकृत द्वयाश्रय, उपदेशकल्पवल्ली, विमल प्रबन्धादि प्राचीन ग्रंथों में श्रीमालपुर के भिल्लमालपुर, पुष्पमालपुर, रलमालपुर और भिनमालपुर नाम भिन २ युगों में पड़े हैं का उल्लेख मिलता है। वर्तमान में यह नगर मरुधरप्रान्त के अन्तर्गत है और 'भिन्नमाल' नगर के नाम से प्रख्यात है। मरुधर प्रान्त की राजधानी 'जोधपुर' से भिन्नमालनगर १७ मील दक्षिण, पश्चिम में ७५ मील दूर तथा अबुंदगिरि से वायव्य कोण में लगभग ५० मील दूर तथा अणहिलपुरपत्तन (गुजरात) से उत्तर में ८० मील पर है।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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