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________________ [अंगसूत्र-लघुबृहविषयानुक्रमौ] इस प्रकाशन की विकास-गाथा * यह प्रत "अंगसूत्र-लघुबृहविषयानुक्रमौ" के नामसे सन १९३७ (विक्रम-संवत १९९३) में 'श्री ऋषभदेव केशरीमल श्वेताम्बर संस्था' द्वारा प्रकाशित हुई, इस के संपादक-महोदय थे पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी) महाराज साहेब | * पूज्यपाद् आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेबने 'आचारांग' वगैरेह ११ अंगसूत्रो के मूलसूत्र एवं उस पर पूर्वाचार्य रचित वृत्ति आदि का संपादन किया था | उन प्रतोमे जो मूलसूत्र, गाथा, वृत्ति आदि थे उन सभी सूत्र आदि के विषयो का अनुक्रम संक्षेप और विस्तार से लिखकर इस प्रतमे प्रकाशित करवाया है | अर्थात् ११ अङ्गसूत्रो के लघु और बृहत् विषयानुक्रम के रचयिता, संपादक और प्रकाशक श्री आगमोद्धारक आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेब ही है । पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीने इसी तरह उपांगसूत्रो, प्रकीर्णकसूत्रो और नन्दी आदि अन्य आगमसूत्रो के सूत्र आदि के विषयो का अनुक्रम भी संक्षेप और विस्तार से लिखकर संपादन और प्रकाशन करवाया है। * हमारा ये प्रयास क्यों? आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, अब तक मेरे प्रकाशित किये हुए पुस्तको के १,००,००० से ज्यादा पृष्ठ हो चुके है, किन्तु लोगो की पूज्यश्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा प्रत स्वरुप प्राचीन प्रथा का आदर देखकर हमने इसी प्रत को स्केन करवाई, उसके बाद एक स्पेशियल फोरमेट बनवाया, जिसके बीचमे पूज्यश्री संपादित प्रत ज्यों की त्यों रख दी, ऊपर शीर्षस्थानमे प्रत संबंधी उपयोगी माहिती लिख दी है, ताँकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसे वर्ण का क्रम चल रहा है उसका सरलतासे ज्ञान हो शके | * पूज्यपाद आगमोद्धारकत्री ने आगम संबंधी ५२ विषयो को वर्गीकृत किया था, आज भी उनमे से ऐसी कई प्रते मिलती है, जिसमे ये विभाजन-क्रमांक देखने को मिलते है, उनमे से थोडे विषयो का काम हुआ भी है, जो मुद्रित स्थितिमे भी प्राप्त है। * अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने का यहीं सरल, सस्ता और आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसिको मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है। ... मुनि दीपरत्नसागर.
SR No.007213
Book TitleAng Sootra Vishayaanukram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages179
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size76 MB
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