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आगम संबंधी साहित्य
नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[म-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
१०२.
साधनु
यहां देखीए
क्रम
२८६
नं.अ.आ.
ओ. द.पि.उ. ॥७३॥
६ ६ ७ ३
दीप
१७७
.
क्रमांक के लिए देखीए
*5*15453434645
मंखलि मख सुभद्दा मंगलहे पुन्नया |मंडलपसूतिकुट्ठी० मंडलि अहराइणिआ मंडलिभायण भोयण
मंडिअ मोरियपुत्ते ल मंडिय मोरियपुत्ते
मंतं मूलं विविहं विज
मंताजोगं काउं & मंदा यं फासा बहुलोभ०
मंदिरे अग्गिभूई मंसवससोणियासव माई मुद्धेण पडई माउयपयंति नेयं
३ ४७३ मा एयं देहि इमं ६ २९० मा काईति अवणं . ६ ६०० मा गलियस्सेव कसं
२८३+ मागहमाई विजयो ४ ५३७ माणविजएणं भंते ! १ २१* माणं तु रयत्ताणे ३ ५९४ माणुम्माणपमाण. ७ ५०१७ माणुसत्तं भवे मूलं ७ १६३६७ माणुसत्तमि आयाओ ७ १२६* माणुसत्ते असारंमि ३ ४४२ माणुस्स खेत्त जाई ६ ५३९ माणुस्स खित्त जाई कुल ७ १०४९* माणुस्सयं चउद्धा ३ २३५+ माणुस्सं धम्मसुई सद्धा
२३७ माणुस्सं विग्गई लर्बु २३९ मा ताव शंख पुत्तय! १२* मा ते फंसेज कुलं ३४८ मा दिच्छिहिंति तो ८२ मा मे एजउ काउत्ति ७०४ मा मे चलउत्ति तणू ९६७ मा य चंडालियं कासी १९३* मायपिइ पुवसंधव १०५* मायमि उ निक्लेवो ६१४* मायरं पियरं वावि ८३१ मायाए उस्सग्ग १५८ मायागारवसहिओ १४५२ माया पिया पहुसा भाया १५५ माया पुतं जहा नटुं
॥७३॥
'सवृत्तिक आगम
७ ३ ७
१६२%
. २
सुत्ताणि
११५
~152~