SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 359
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पं० लक्ष्मणभाई हीरालाल भोजक : मातृभाषा गुजराती, जैनधर्म, संस्कृत एवं प्राकृत के सुविज्ञ अध्येता। गुजरात के कई नगरों में स्थित प्रख्यात जैन ज्ञान-मंदिर/भण्डार एवं ताड़पत्रीय ग्रन्थभण्डारों में कई दशाब्दियों तक सूचीकार एवं पुस्तकाध्यक्ष के रूप में अहर्निश/अनवरत सेवा। ___ हस्तप्रति-विज्ञान, एवं प्राचीन से अर्वाचीन तक अनेक हस्तलिपियों के सुधी विशेषज्ञ। कई भण्डारों की हस्तप्रति सूचियों का संकलन, सम्पादन, प्रकाशन। प्राचीन गुजराती लिपि में लिपिबद्ध रचनाओं का पुनः प्रतिकरण। __ताम्र-पत्रों, काष्ठ, प्रस्तर, धातु-प्रतिमा-लेख व अन्य अभिलेखों के विशेष अभिज्ञाता, संग्राहक, सम्पादक, प्रकाशक। गुजरात, काठियावाड, सौराष्ट्र, प्रदेशों में ग्रामग्राम, नगर-नगर भ्रमण करते हुए अनेकानेक सर्वथा अज्ञातपूर्व ताम्र, काष्ठ व प्रस्तरादि एवं प्रस्तर-काष्ठ व धातु-प्रतिमाओं एवं अन्य धार्मिक शिल्पकृतियों में टंकित, अंकित, अभिलेखों, संख्यासूचक शब्दों आदि महत्त्वशील सामग्री के शोधक, संग्राहक, लिपिकार, सम्पादक, प्रकाशक व शतावधि शोध परक लेखों के प्रणेता।
SR No.007173
Book TitlePatan Jain Dhatu Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmanbhai H Bhojak
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2002
Total Pages360
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy