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________________ करनेकी हमें सम्मति दी, अतः हम उनके ऋणी हैं। संस्थाके प्रकाशनोंमें जिनका हार्दिक सहयोग हमेशा रहेता है ऐसे ब्र.श्री प्रकाशभाई डी. शाहने इस कृतिको प्रकाशित करनेमें काफी प्रेम-परिश्रम किया है, इस विशिष्ट सहयोगके लिए हम सधन्यवाद उनके आभारी हैं। बहनश्री बिन्दबहेन पारेखने भी इस ग्रन्थके प्रकाशनमें अच्छा सहयोग दिया है, अतः हम उनके भी आभारी हैं। आशा है कि आगेके प्रकाशनोंमें भी वे ऐसे ही सक्रिय रहकर अपने ज्ञानार्जनकी एवं साहित्यरुचिकी वृद्धि करेंगे। ग्रन्थके प्रकाशनमें श्रीमती मुक्ताबहेन पारेख हस्ते. उषाबहेनबिन्दुबहेन- नयनाबहेन पारेख (राजकोट), श्रीमती शान्ताबहेन डी. शाह हस्ते. श्री प्रकाशभाई एवं श्री प्रकाशभाई एस.शाह (गांधीनगर) का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। __ ग्रन्थका लेसर कम्पोझिंग कार्य बडी तत्परता से श्री राकेशभाई, चन्द्रिका प्रिन्टरीवालोंने किया है, अतः वे धन्यवादके पात्र हैं। प्रूफरीडींगके कार्यमें श्री बाबुलाल सिद्वसेन जैन ने जो सहयोग दिया है, उसके लिए हम उनके आभारी अन्तमें अभ्यासी और साधकसमुदाय इस उत्तम ग्रन्थका अध्ययनअध्यापन करके स्व-पर कल्याणमें लगेंगे ऐसी भावनासहित, अध्यात्मसाधकोंकी सेवामें तत्पर, ग्रन्थ प्रकाशन समिति, श्रीमद् राजचन्द्र आध्यात्मिक साधना केन्द्र, कोबा, गांधीनगर (गुजरात) * विषय-सूचि * १. अनित्यभावना ८ ७. अशुचिभावना ४८ २, अशरणभावना १३ ८. आम्रवभावना ५२ ३. एकत्वभावना १९ ९. संवरभावना ६६ ४. अन्यत्वभावना २६ १०. निर्जराभावना ७१ ५. संसारभावना २९ ११. धमभावना ७३ ६. लोकभावना ४४ १२. बोधिदुर्लभभावना ८८ M
SR No.007155
Book TitleBaras Anupekkha
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorVidyasagar, Chunilal Desai, Atmanandji Maharaj Maharaj
PublisherSatshrut Sadhna Kendra
Publication Year1989
Total Pages102
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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