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हिन्दी पद्यानुवादक आचार्यश्री विद्यासागरजीकी जीवनझांकी जन्म नामकरण : विद्याधर जन्मतिथि : आश्विन शुक्ला पूर्णिमा
वि.सं. २००३; १०-१०-१९४६ जन्मस्थल : ग्राम सदलगा (जि.बेलगाम)
कर्णाटक पितृनाम : श्री मल्लप्पाजी
(मुनि श्री मल्लिसागरजी) मातृनाम : श्री श्रीमतीजी
(आर्यिका समयमतीजी) मातृभाषा : कन्नड मुनि दीक्षा : अषाढ शुक्ला पंचमी वि.सं
२०२५ तदनुसार ३० जून १९६८ अजमेरमें । आचार्यपद : मगसिर कृष्ण द्वितीया वि.सं. २०२९ तदनुसार २१ नवम्बर
१९७२ नसीराबाद (राज.)में । शिक्षा-दीक्षा गुरु : आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज ।
___चारित्र चक्रवर्ती आ.श्री शान्तिसागर महाराजके उपदेशामतने बचपनमें विरक्तिके बीज बोये और आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत आ.श्री देशभूषणजीसे ग्रहण किया । आ.श्री ज्ञानसागरजीसे शिक्षा और मुनिदीक्षा प्राप्त की।
_ आ.श्री विद्यासागरजीको जहां प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, बंगला, कन्नड आदि अनेक भाषाओंमें प्रकाण्ड पाण्डित्य प्राप्त है, वहीं दर्शन, इतिहास, संस्कृति, न्याय, व्याकरण, साहित्य, मनोविज्ञान और योग विद्याओंमें अनुपम वैदुष्य भी उपलब्ध है। आपमें आशुकवित्व और प्रत्युत्पन्नमतित्व अत्यन्त प्रशस्य गुण हैं।
आचार्यश्री स्वसाधनाके साथ, निरन्तर ज्ञानाभ्यासमें प्रवृत्त रहते हैं। आपने भव्य जीवोंके आत्मकल्याण हेतु अनेक ग्रन्थोंका प्रणयन किया है और मां भारतीके भण्डारको भरा है। आपके द्वारा लिखित एवं अनुवादित रचनाओंकी संख्या करीब ५० है। आपसे दीक्षित करीब ५० साधु-साध्वीजी एवं १०० के करीब बालब्रह्मचारी भाई-बहन हैं।