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72 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना मुक्ति जो मृत्यु के उपरान्त प्राप्त होती है, विदेह मुक्ति कही जाती है। इस मुक्ति की प्राप्ति तब होती है, जब पूर्व जन्म के शेष कर्मों के फल का अन्त हो जाता है। इस मुक्ति में शरीर का अभाव होता है।
___ सांख्य दो प्रकार के शरीर को मानता है-स्थूल और सूक्ष्म शरीर। स्थूल शरीर का निर्माण पाँच महाभूतों से होता है और सूक्ष्म शरीर का निर्माण सूक्ष्म-तन्मात्राओं, पाँचों इन्द्रियों, पाँच कर्मेन्द्रियों और बुद्धि, अहंकार तथा मन से होता है। मृत्यु के साथ स्थूल शरीर का अन्त हो जाता है; परन्तु सूक्ष्म शरीर कायम रहता है। सूक्ष्म शरीर ही मृत्यु के उपरान्त सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करता है और इस प्रकार जन्म-जन्मान्तर तक सूक्ष्म शरीर की सत्ता कायम रहती है। विदेह मुक्ति के फलस्वरूप सूक्ष्म और स्थूल दोनों प्रकार के शरीरों का नाश हो जाता है और इस प्रकार पुनर्जन्म का क्रम समाप्त हो जाता है। विदेह मुक्ति की अवस्था में बाह्य वस्तुओं का ज्ञान नहीं रहता है। इसका कारण यह है कि बुद्धि का जिसके द्वारा बाह्य वस्तुओं का ज्ञान होता है, नाश इस अवस्था में हो जाता है।
- विज्ञान-भिक्षु सिर्फ विदेह मुक्ति को ही वास्तविक मुक्ति मानते हैं। उनके अनुसार जब तक शरीर में आत्मा विद्यमान रहती है, तब तक उसे शारीरिक और मानसिक विकारों का सामना करना पड़ता है, सांख्य के अनुसार बन्धन और मोक्ष दोनों व्यावहारिक हैं। पुरुष स्वभावतः मुक्त है। वह न बन्धन में पड़ता है और न मुक्त होता है। आत्मा को यह प्रतीत होता है कि बन्धन और मोक्ष होता है, परन्तु यह प्रतीति वास्तविकता का रूप नहीं ले सकती है। अतः पुरुष बन्धन और मोक्ष से परे है।
विज्ञान भिक्षु का कहना है कि यदि पुरुष वास्तव में बन्धन ग्रस्त होता तो उसे सौ जन्मों के बाद भी मोक्ष की अनुभूति नहीं होती, क्योंकि वास्तव में बन्धन का नाश सम्भव नहीं है। सच पूछा जाए तो बन्धन और मोक्ष प्रकृति की अनुभूतियाँ हैं। प्रकृति ही बन्धन में पड़ती है और मुक्त होती है। सांख्यकारिका के लेखक ईश्वर कृष्ण ने कहा है कि पुरुष न बन्धन में पड़ता है न मुक्त होता है और न उसका पुनर्जन्म ही होता है। बन्धन, मोक्ष और पुनर्जन्म भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकृति का होता है। प्रकृति स्वतः अपने को सात रूपों में बाँधती है। वाचस्पति मिश्र के अनुसार पुरुष का बन्धन में पड़ना और मोक्ष के लिए प्रयत्नशील उसके भ्रम का प्रतीक है।