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आभार प्रदर्शन
प्रत्येक कार्य की पूर्णता में वैयक्तिक प्रयास के साथ-साथ परस्परोपकारी प्रयासों का भी योगदान रहता है। शोधनिर्देशक डॉ. पी.सी. जैन का मैं अत्यन्त आभारी और चिर ऋणी रहूँगा, जिन्होंने सम्पूर्ण शोधावधि में मुझे निरन्तर प्रोत्साहित किया। मेरे उत्साह और निष्ठा को सही दिशा प्रदान करते हुए अपनी उत्प्रेरक बौद्धिकता और तलस्पर्शी सोच को मेरे शोधकार्य में प्रयुक्त कर उचित निर्देश एवं सहयोग प्रदान किया।
मेरी माताजी श्रीमती सुशीलादेवी एवं पिताजी श्री कान्तिलालजी के अगाध प्रेम एवं स्नेह ने मुझे शोधकार्य को तत्परता से करने में सदैव संलग्न बनाये रखा। मेरे अग्रज श्री भूपेन्द्र जैन एवं श्री मनोज जैन ने अपना सम्पूर्ण स्नेह एवं सौहार्द प्रदान कर मेरे कार्य में जो सहयोग दिया, उनके इस सहयोग के लिए मैं उनका सदैव ऋणी रहूँगा। मेरी सहधर्मिणी श्रीमती अनुश्री शाह की प्रशंसा किये बिना भी मैं नहीं रह सकता, जिनकी सतत प्रेरणा एवं सहयोग मेरा संबल रहा।
मैं आभारी हूँ आदरणीय डॉ. उत्तमचन्दजी सिवनी, पण्डित अभयकुमारजी, देवलाली एवं पण्डित अशोकजी लुहाड़िया का जिन्होंने शोधसामग्री उपलब्ध करवाकर एवं उचित मार्गदर्शन देकर मुझे सहयोग प्रदान किया। शोधसामग्री उपलब्ध करवाने में विभिन्न शास्त्र भंडारों, जैनमन्दिरों एवं पुस्तकालयों के अधिकारियों ने जो सहयोग दिया, उसके लिए मैं उन सभी के प्रति कृतज्ञ हूँ।
प्रस्तुत शोधप्रबन्ध को प्रकाशित करने हेतु श्री कुन्दकुन्द - कहान दिगम्बर जैन तीर्थसुरक्षा ट्रस्ट, मुम्बई का मैं आभारी हूँ। साथ ही श्री दिलीपभाई शाह, जयपुर एवं कुन्दकुन्द वीतराग विज्ञान मंडल, जबलपुर के आर्थिक सहयोग के लिए मैं उनके प्रति भी कृतज्ञ हूँ।
श्री संजय शास्त्री ने इस कार्य हेतु मुझे अपना अमूल्य समय एवं सलाह देकर सहयोग दिया एवं शोधप्रबन्ध की टाइप सेटिंग के लिए प्रीति कम्प्यूटर्स, जयपुर भी धन्यवाद के पात्र हैं।
आशा है, यह शोधप्रबन्ध सभी सुधी पाठकों, विद्वानों एवं शोधार्थियों को उपयोगी सिद्ध होगा।
- डॉ. नितेश शाह