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________________ 200 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना सवैया । ( 29 ) सज्जन गुण दशक (30) वर्तमान चौबीसी दशक ( 31 ) अध्यात्म पंचासिका दोहा । ( 32 ) नेमिनाथ बहत्तर - अडिल्ल, सोरठा, मोतीदाम और चौपाई | - - - - ―― ( 33 ) वज्रदन्त कथा ( 34 ) आठ गण छन्द ( 35 ) धर्म चाह गीत ( 36 ) आदिनाथ स्तुति रेखता । । - ( 37 ) शिक्षा पंचाशिका दोहा, सोरठा और चौपाई | ( 38 ) युगल आरती - दोहा, चौपई, सोरठा और चौपाई | (39) वैराग्य छत्तीसी - दोहा, चौपाई और सोरठा । ( 40 ) वाणी संख्या – दोहा, चौपाई और सोरठा । (41) पल्ल पच्चीसी दोहा, चौपाई, सवैया और सोरठा । (42) षड्गुण हानिवृद्धि बीसी दोहा और सवैया । विभिन्न रचनाओं में विभिन्न छन्दों के प्रयोग से स्पष्ट है कि द्यानतराय छन्द शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। पदों के अतिरिक्त कवि के अधिक प्रिय छन्द दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित्त और सवैया रहे; किन्तु महाकवि केशव के समान द्यानतराय ने मोतीदाम, अशोक, पुष्पमंजरी, सुन्दरी जैसे अप्रचलित एवं कठिन छन्दों में भी अपनी काव्याभिव्यक्ति की । - चौपाई | दोहा और सोरठा । चौपाई | - - कवित्त, सवैया और दोहा । - (3) अलंकार विधान अलंकार का अभिप्राय सौन्दर्य साधन से है । काव्य के शरीर को सजाने के लिए जो आभूषण काम में लाये जाते हैं, उनको अलंकार कहते हैं। किसी ने कहा भी है- 'काव्यशोभाकरानलंकरान् प्रचक्षते अर्थात् काव्य की शोभा करने वाले धर्मों को अलंकार कहते हैं | 38 अलंकार शब्द का अर्थ है - वह वस्तु जो सुन्दर बनाये या सुन्दर बनाने का साधन हो । अलंकरोति इति अलंकारः । अथवा अलंक्रियते अनेन इति अलंकारः । साधारण बोलचाल में अलंकार गहने को कहते हैं । गहने पहनने से मनुष्य की शोभा बढ़ती है, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है। अलंकारों का काव्य में महत्त्वपूर्ण स्थान है । अलंकारों की सहायता से
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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