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________________ कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना 193 रूपों के साथ-साथ संस्कृत, अपभ्रंश, अरबी, फारसी, उर्दू आदि के शब्दों एवं तत्सम्बन्धी क्रियाओं का व्याकरण संगत प्रयोग सफलता पूर्वक किया है। कुल मिलाकर महाकवि द्यानतराय की भाषा विषय के अनुकूल होकर भाव प्रवणता व मनोरंजकता से युक्त है। उसमें सरसता, कोमलता, मधुरता, सुबोधता, सार्थकता आदि गुण पाये जाते हैं। साथ ही विषयानुकूल प्रसाद, ओज व माधुर्य गुण का समावेश है। नादसौन्दर्य के साधन, छन्द, तुक, गति, यति, लय आदि का सुन्दर तथा मुहावरे और लोकोक्तियों का सफल प्रयोग पाठक को मन्त्रमुग्ध कर देता है। इस प्रकार द्यानतराय की भाषा सर्वत्र भाव एवं विषय के अनुकूल होकर प्रभावकारी बन पड़ी है। (2) छन्द विधान छन्द का अर्थ और परिभाषा -::. . वेद समस्त विधाओं का मूल है। वेद के छह अंगों में छन्द को वेद का एक अंग स्वीकार लेना ही उसके महत्त्व का परिचायक है। छन्द शब्द छद् धातु से बना है। इसका अर्थ है- बाँधना या आच्छादन करना। जो बँधा हुआ हो, नियमित हो और आह्लादित करे, वह छन्द कहा जा सकता है। छन्द के बारे में छन्द प्रभाकर में इस प्रकार कहा गया है - मत्त वरण गति यति नियम, अन्त ही समता बन्द। जा पद रचना में मिले, भानु भनत सुइच्छन्द ।। . भानु भनत प्रति छन्द. में, चरण होत हैं चार। घट बढ़ विशमनि छन्द में, कविजन लेत विचार ।।18 वर्णों या मात्राओं की संख्या व क्रम तथा गति-यति और चरणान्त के नियमों के अनुसार होने वाली रचना को छन्द कहते हैं। छन्द में वर्ण, मात्रा, गण, यति, गति आदि को इस प्रकार बाँधकर रखा जाता है कि उसे पढ़कर .या सुनकर मन आह्लादित हो उठता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने छन्द को इस प्रकार परिभाषित किया है - . . . . 'छन्द.वास्तव में बँधी हुई लय के भिन्न-भिन्न ढाँचों का योग है, जो निर्दिष्ट लम्बाई का होता है। इस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है तो कवित्त का छन्द शास्त्र। छन्द शास्त्र वह शास्त्र या विज्ञान है, जिसमें छन्दों की रचना विधि या उसके भेद-प्रभेदों आदि का शास्त्रीय विवेचन होता है। छन्द शास्त्र को पिंगल शास्त्र भी कहते हैं; क्योंकि इसके प्रधान प्रवर्तक आचार्य श्री पिंगलाचार्य थे।
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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