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________________ ॥ लघु शान्ति विधान। (दोहा) नवदेवों को पूजकर, हर्षित सकल समाज । समकित का धन प्राप्त कर, सफल हुए सब काज ।। ॐ ह्रीं श्री नवदेवेभ्यो जयमाला-पूर्णायँ निर्वपामीति स्वाहा। _ शान्तिपाठ (दोहा) मंगलमय परमेष्ठी, पाँचों शान्तिस्वरूप। अर्हत सिद्धाचार्य प्रभु, पाठक साधु अनूप ।। मंगलमय जिनमूर्ति है, मंगलमय जिनगेह । मंगल जिनवाणी परम, मंगल धर्म सनेह ।। दुःखी न हो कोई कभी, सुखी रहें सब जीव । परमशान्ति पाएँ प्रभो, ध्यावें तुम्हें सदीव ।। पूर्ण शान्ति हो विश्व में, सबका हो कल्याण । यही भावना है प्रभो, हे नवदेव महान ।। (पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् ) (नौ बार णमोकार मन्त्र का जाप करें।) क्षमापना (चौपाई) भूलें क्षमा करो भगवान, हम तो सेवक सदा अजान । हमें करो प्रभु सुमित प्रदान, हम भी पाएँ सम्यग्ज्ञान ।। सुख सम्पत्ति सौभाग्य मिले, हृदय ज्ञान का कमल खिले॥ शान्ति विधान हुआ सम्पूर्ण, सहज शान्ति पाएँ आपूर्ण।। ( पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् ) (२४) -
SR No.007146
Book TitleLaghu Shanti Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Pavaiya
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Foundation
Publication Year2009
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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