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वस्तुविज्ञानसार
होता है, तब निमित्त उपस्थित ही है' - ऐसा ही उपादान - निमित्त का स्वभाव है, इसलिए इसमें दूसरे तर्क को अवकाश नहीं है ।
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कमल में विकसित होने की योग्यता हो किन्तु यदि सूर्योदय न हो तो ?
कमल के खिलने और सूर्य के उदय होने में सहज निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध है किन्तु सूर्य का उदय हुआ, इसलिए कमल खिला ऐसा नहीं, वह तो अपनी उस पर्याय की योग्यता से खिला है । प्रश्न यदि सूर्योदय न हो तब तो कमल नहीं खिलेगा ? उत्तर – 'कार्य होना हो किन्तु निमित्त न हो तो ?' ऐसा ही यह प्रश्न है, इसका समाधान उपरोक्त युक्ति के अनुसार समझ लेना चाहिए । जब कमल में खिलने की योग्यता होती है, तब सूर्य में भी अपने ही कारण से उदित होने की योग्यता होती है - ऐसा स्वभाव है । कमल में विकसित होने की योग्यता हो और सूर्य में उदित होने की योग्यता न हो - ऐसा कभी हो ही नहीं सकता । तथापि सूर्य के कारण कमल नहीं खिलता और कमल को खिलना है; इसलिए सूर्य उदय होता है - ऐसा भी नहीं है।
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प्रश्न – यदि सूर्य के कारण कमल नहीं खिलता हो तो ऐसा क्यों होता है कि जब सूर्योदय छह बजे होता है, तब कमल भी छह बजे खिलता है और जब सूर्योदय सात बजे होता है, तब कमल भी सात बजे खिलता है ?
उत्तर
उसी समय कमल में खिलने की योग्यता है, इसीलिए वह तभी खिलता है। पहले उसमें अपने में ही खिलने की योग्यता नहीं थी और उसकी योग्यता बन्द रहने की ही थी ।
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