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हपति आनन्द
वैशाली नगर के निकट वाणिज्य ग्राम नाम का गाँव था । इस वाणिज्य ग्राम में आनन्द नाम का एक गाथापति या गृहपति रहता था। वह व्यापार और कृषि दोनों काम करता था। इससे उसे बहुत अधिक आय (लाभ) होती थी। उसके संचित कोष में करोड़ों स्वर्णमुद्राएं थीं। हजारों गायों के गोकुल थे। 500 हलों द्वारा खेती होती थी।
यह उसका बाहरी वैभव था। इन सब विशेषताओं के साथ-साथ उसमें अनेक ऐसे मानवीय गुण थे, जिनके कारण पूरा वाणिज्य ग्राम और वैशाली में रहने वाले हजारों लोगों में वह सम्माननीय था। सब आनन्द को अपना मार्ग-दर्शक, प्रेरक और आदर्श पुरुष मानते थे। वह बिना किसी सम्माननीय पद दिये / लिये ही जनप्रिय नायक और नेता था।
वह गरीबों की सच्चे मन से सहायता करता था । व्यापारियों और किसानों को अच्छी सलाह देता। इतना ही नहीं, वैशाली व वाणिज्य ग्राम के लोग आनन्द को बुद्धिमान, ईमानदार और नेक सलाहकार मानते थे। वे अपने परिवार की समस्या लेकर भी आनन्द के पास निस्संकोच पहुंच जाते 'थे।
आनन्द द्वार आये किसी भी व्यक्ति का अनादर नहीं करता। जिसे धन की आवश्यकता होती, उसे धन देता, जिसे स्वच्छ व सुलझे विचारों की जरूरत होती, उसको वे मिलते।