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chapters of this Sūtra, see my article, “The Earliest Portions of the Daśavaikālika-sūtra," Researches in Indian and Buddhist Philosophy: Essays in Honour of Prof. Alex Wayman, Ed. R. K. Sharma, Delhi 1993, pp. 179-193. Mahāvīra apparently substituted 'atman' for 'Brahman.' As examples may be cited the following: जे गुणे से आवढे जे आवटे से गुणे। - १.१.५४१ जे अच्चत्थं जानति से बहिया जानति जे वहिया जानति से जज्जत्थं जानति - १-१.७.५६ ज गुणे से मूलद्वाने ज मूलद्वाने से गुणे । १-२.१.६३ जथा अंतो तथा बाहिं जझा बाहिं तथा अंतो। - १-२.५.१२ जे अनत्रदंसी से अनत्रारामे जे अनत्रारामे से अनत्रदंसी - १-२.६.१०१ जथा पुण्णस्स कत्थति तथा तुच्छस्स कत्थति जथा तुच्छस्स कत्थति तथा पुण्णस्स कत्थति - १-२.६.१०२ सुता अमुनि मुनिनो सदा जागरंति - १-३.२.१०६ सुता अमुनि मुनिनो सदा जागरंति - १-३.२.१०६ जे पव्वजातसत्थस्स खेतत्रे से असत्थरस खेतो जे असत्थ खेतो से पच्चजात सत्थस्स खेतः ॥ १-३.२.१०९ जे एगं जानति से सव्वं जानति जे सव्वं जानति से एगं जानति - आचारांग ३.४.१२८ जे आता से वित्राता जे वित्राता से आता - आचारांग १५.६.१७१
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