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भूमिका
भगवान् महावीर जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर थे । आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व उन्होंने अहिंसा, समता व अपरिग्रह का संदेश दिया था । आज भी वह मानव मात्र के लिए प्रेरणादायक है । इस पुस्तक में जैन आगम ग्रन्थों में से चुनी हुई २३० प्रभावशाली सूक्तियों का संकलन है । प्रत्येक सूक्ति का एक शीर्षक तथा उसका अनुवाद हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है ताकि दोनों भाषाओं के जानकार व्यक्ति इससे लाभ उठा सकेंगे । आज भगवान् महावीर की वाणी का प्रचार नितांत आवश्यक है । जिनवाणी का यह निर्झर आज के अशान्त एवं तनावग्रस्त मनुष्य को शान्ति एवं शीतलता प्रदान करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है । और यदि इसमें कुछ त्रुटियाँ रह गई हों तो मैं विद्वत् समाज से क्षमा याचना करता हूँ।
चेन्नई
दुलीचन्द जैन