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VII
Blessings from Ācārya Kanakanandhījī
परम अध्यात्म स्वरूप, शुद्धात्मामय समयसार का वर्णन आचार्य कुन्दकुन्द देव ने समयपाहुड़ नामक ग्रन्थ में प्राकृत गाथा में किया है। इसकी संस्कृत टीका आचार्य अमृतचन्द्र सूरि ने प्रौढ़ गूढ संस्कृत में तथा सरल-बोधगम्य रूप से आचार्य जयसेन ने की है। आधुनिक विश्वमानव को लक्ष्य में रखकर प्रो. डॉ. पारसमलजी अग्रवाल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इसके लिये पारसमलजी साधुवाद के पात्र हैं। प्रो. अग्रवालजी भौतिक शास्त्र के, विशेषतः क्वाण्टम मेकेनिक्स के, विद्वान हैं फिर भी उनकी रुचि एवं आस्था अध्यात्म में अधिक है - यह एक आश्चर्यजनक, सुखद एवं प्रेरणादायी विषय है। वर्तमान काल में भौतिकविज्ञान के विद्वान भौतिक से परे नैतिक एवं नैतिक से परे आध्यात्मिक होते जा रहे हैं, यह विश्व के लिये मंगल-सूचक है। इसके अध्ययन, मनन, एवं आचरण से मानव महामानव एवं भगवान बनें-ऐसी मंगलकामनाओं के साथ....
आचार्य कनकनन्दी
बावलवाड़ा, उदयपुर (राज.) वीर नि. सं. - 2539, 4.12.2012
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