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आत्म-रक्षा इन्द्र कवच
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१(हृदय पर हाथ फिराते हुए ७ बार बोलें-)
ॐ णमो अरिहंताणं हां हृदयं रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा २(मस्तक पर हाथ फिराते हुए ७ बार बोलें-)
ॐ णमो सिद्धाणं ही शिरोरक्ष हुं फट् स्वाहा (चोटी पर हाथ रखते हुए ७ बार बोले-)
ॐ णमो आयरियाणं हूं शिखां रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा। ४(अपने चारों ओर वज्र कवच की धारणा करते हुए ७ बार
बोलें-) ॐ णमो उवज्झायाणं हें एहि एहि भगवति बज्रकवचं वजिणि वजिणि रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा (एक हाथ में वज्र एक हाथ में शूलधारण कर शत्रु को स्तंभित करने की धारणा रखते हुए ७ बार बोलें) ॐ णमो लोए सब्बसाहणं हः क्षिप्रं क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते शूलिनि दुष्टान् रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा