________________
686339
612
ATMA-SIDDHI
roomwWoods
Salutations with utmost devotion to those saintly personages who have given the precept, capable of annihilating birth, agedness, death & capable of effortless enplacement in one's (soul's) own self; even in always incessantly praising their spontaneous selfless compassion the inborn soul nature gets manifested. May the lotus-feet of all such saintly personages be ever enshrined in heart!
जिसके वचन अंगीकार करनेपर, छह पदोंसे सिद्ध ऐसा आत्मस्वरूप सहजमें ही प्रगटित होता है, जिस आत्म-स्वरूपके प्रगट होनेसे सर्वकालमें जीव संपूर्ण आनंदको प्राप्त होकर निर्भय हो जाता है, उस वचनके कहनेवाले ऐसे सत्पुरुषके गुणोंकी व्याख्या करनेकी हममें असामर्थ्य ही है। क्योंकि जिसका कोई भी प्रत्युपकार नहीं हो सकता ऐसे परमात्मभावको, उनसे किसी भी इच्छाके बिना, केवल निष्कारण करुणासे ही प्रदाक किया है। तथा ऐसे होनेपर भी जिसने दूसरे जीवको ‘यह मेरा शिष्य है, अथवा मेरी भक्ति करनेवाला है, इसलिये मेरा है' इस तरह कभी भी नहीं देखा-ऐसे सत्पुरुषको अत्यंत भक्तिसे फिर फिरसे नमस्कार हो।
That saintly personage, - on acceptance of whose words soul's own self-form as
Headaki
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org